सुपौल: जिलावासियों का बड़ी रेल लाइन का सपना अब तक अधूरा है. सुपौल देश में शायद एकमात्र जिला है, जहां एक गज भी बड़ी रेल लाइन की स्थापना नहीं हुई है. सहरसा-फारबिसगंज रेल खंड पर अब भी अंगरेजों के जमाने की छोटी रेल ही दौड़ती है और 40 लाख लोगों की जिंदगी अब भी आदम जमाने की मीटर गेज पटरी से जुड़ी है. करीब 12 वर्ष पूर्व जब इस इलाके में भी आमान परिवर्तन की नींव रखी गयी थी, तो लोगों में बड़ी रेल लाइन की उम्मीदें जगी थीं. पर, निर्धारित अवधि बीत जाने के बावजूद अपेक्षित कार्य नहीं होने से लोगों की उम्मीदें टूटने लगी हैं. केंद्र सरकार के नये बजट में इस रेल खंड के लिए विशेष आवंटन नहीं रहने से लोगों में मायूसी है.
12 वर्ष पूर्व हुआ था शिलान्यास : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 06 जून, 2003 को निर्मली में रेल महासेतु व आमान परिवर्तन का शिलान्यास किया था. वर्ष 2010 तक कार्य पूर्ण होने की घोषणा भी की गयी थी, लेकिन 12 वर्षो में विभागीय उपेक्षा व कार्य की मंथर गति से लोगों में निराशा व असंतोष व्याप्त है.
मेगा ब्लॉक अपने मायने में असफल : सहरसा -फारबिसगंज रेल खंड के अंतर्गत राघोपुर से फारबिसगंज स्टेशन के बीच आमान परिवर्तन के लिए विभाग द्वारा 20 जनवरी, 2012 को मेगा ब्लॉक किया गया.
तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्य अधूरा है. इससे क्षेत्र के लोग यातायात की समस्या से जूझ रहे हैं. तीन वर्षो के में महज 50 किलो मीटर आमान परिवर्तन का भी कार्य पूरा नहीं हो पाना विभागीय अकर्मण्यता का ही परिचायक है.