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बिना जांच के भेजी जा रही सूची

सुपौल : ‘हरि अनंत, हरि कथा अनंता’ की तरह शिक्षक नियोजन में धांधली कोई नयी बात नहीं है. जब से नियोजन का इतिहास शुरू हुआ है, फर्जीवाड़ा का इससे करीब का रिश्ता रहा है. गोठ बरूआरी पंचायत नियोजन इकाई की पहल के बाद यह मामला जरूर सुर्खियां बन चुका है. बावजूद नियोजन इकाइयों ने सबक […]

सुपौल : ‘हरि अनंत, हरि कथा अनंता’ की तरह शिक्षक नियोजन में धांधली कोई नयी बात नहीं है. जब से नियोजन का इतिहास शुरू हुआ है, फर्जीवाड़ा का इससे करीब का रिश्ता रहा है. गोठ बरूआरी पंचायत नियोजन इकाई की पहल के बाद यह मामला जरूर सुर्खियां बन चुका है.
बावजूद नियोजन इकाइयों ने सबक नहीं लिया और उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है. उधर, टीइटी अभ्यर्थी संघ ने एक और फर्जी सूची जारी कर माहौल गरमा दिया है. दूसरी ओर सदर पुलिस ने कांड संख्या 109/15 में अनुसंधान भी आरंभ कर दिया है.
बिना जांच भेजी जा रही सूची : यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गोठ बरूआरी अन्य नियोजन इकाई के लिए नजीर नहीं बन सका. नतीजा यह है कि नियोजन इकाइयों द्वारा जो औपबंधिक सूची डीइओ कार्यालय को अनुमोदन के लिए भेजी जा रही है, वह बिना जांच- पड़ताल के है. नियमत: नियोजन इकाई को अभ्यर्थी के टीइटी कार्ड की जांच अनुमोदन से पहले करनी है. अन्य कागजात की जांच बाद में होनी है. यही कारण है कि टीइटी अभ्यर्थी संघ का दावा है कि नियोजन प्रक्रिया में 40 फीसदी अभ्यर्थियों के आवेदन करने के पीछे नियोजन इकाई की सहमति है.
लंबे समय से संघ फर्जीवाड़े की बात सड़कों पर चिल्ला-चिल्ला कर कहता आ रहा है. पर, जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग कभी भी उनके आरोपों पर संजीदा नहीं हुआ. नतीजा है कि फर्जी प्रमाणपत्र धारी शिक्षक बने हैं व मेधावी अभ्यर्थी धरना-प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं.
बहानेबाजी का नहीं है तार्किक आधार : नियोजन इकाई अपने दायित्व से बचने के लिए चाहे लाख बहाने कर ले, लेकिन तर्क की जमीन पर उनके बहाने अर्थहीन साबित हो रहे हैं. नियोजन इकाई का तर्क है कि उनके पास टीइटी से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं हैं. हालांकि जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा पूर्व में ही टीइटी सीडी सभी प्रखंड कार्यालयों को उपलब्ध करा दी गयी है और यह आज भी उपलब्ध है. इसके अलावा सभी टीइटी उत्तीर्ण छात्रों की सूची बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है. जब हर पंचायत में वसुधा केंद्र खुल चुके हैं, ऐसे में ऐसी बहानेबाजी थोथी दलील ही कही जा सकती है. हालांकि गोठ बरूआरी प्रकरण के बाद डीएम के आदेश पर डीइओ ने सभी बीइओ को आदेश दिया है कि अपने-अपने पंचायत नियोजन इकाई से अनुमोदन के लिए प्राप्त आवेदन की जांच अपनी निगरानी में जिला शिक्षा कार्यालय में आकर करायें. देखना यह है कि यह ‘सेफ्टी वॉल्व’ कितना कारगर साबित होता है.
पूर्व के नियोजन में भी हुआ है फर्जीवाड़ा : फिलहाल शिक्षक नियोजन वर्ष 2012 का चौथा चरण जारी है. वर्ष 2011 में एसटीइटी परीक्षा हुई थी. इस प्रकार टीइटी में फर्जीवाड़े का खेल प्रथम चरण से ही जारी है. सूत्रों की मानें तो सैकड़ों फर्जी प्रमाणपत्र धारी शिक्षक बने हुए हैं. इस फर्जीवाड़े में नियोजन इकाई और शिक्षा विभाग के लोग भी शामिल हैं. आवेदन के समय फर्जी प्रमाणपत्र का प्रयोग किया जाता है. इसमें नियोजन इकाई की सहभागिता होती है.
नियोजन के बाद सभी प्रमाणपत्र बीआरसी में जमा हो जाते हैं. सेटिंग के तहत कभी इसकी जांच नहीं की जाती है. अगर कभी किसी के विरुद्ध शिकायत की जाती है, तो जांच के नाम पर प्रक्रिया को इतना लंबा खींचा जाता है कि शिकायत ही दम तोड़ देती है. इसके अलावा मैट्रिक, इंटरमीडिएट और प्रशिक्षण प्रमाणपत्र में भी फर्जीवाड़े का खेल जारी है. जिले में कभी भी व्यापक स्तर पर प्रमाणपत्रों की जांच नहीं की गयी.

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