सुपौल : बॉलीवुड फिल्म 'जौली एलएलबी-2' में दिखाये गये एक केस की कहानी सुपौल जिले में दुहरायी जा रही है. प्रशासनिक महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलते फिल्म के नायक 'अक्षय कुमार' की जरूरत सुपौल के बुजुर्ग को भी है. आमलोगों के हितों के लिए सरकार द्वारा लागू योजना का लाभ अधिकारियों और कर्मियों की इच्छा पर निर्भर हो गया है. वे जब चाहे, जैसे चाहे, संचालित करते हैं. सुपौल के इस पेंशनधारी को प्रशासनिक महकमे ने तीन साल पहले मृत घोषित कर दिया. वह भी जिंदा होने के बावजूद पिछले तीन सालों से जिंदा होने का प्रमाणपत्र लेने के लिए कार्यालयों का चक्कर लगा रहा है. हजारों रुपये खर्च किये जाने के बावजूद बुजुर्ग की कोई बात कोई सुनने को तैयार नहीं है.
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छातापुर प्रखंड के रामपुर वार्ड नंबर-3 निवासी 79 वर्षीय बेचन झा का आरोप है कि वर्ष 2016 के मार्च तक उन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिला. उसके बाद पेंशन मिलना बंद हो गया. कई महीनों बाद वह छातापुर प्रखंड कार्यालय गये और जानकारी ली कि आखिर उनकी पेंशन बंद क्यों हो गयी. इस पर वहां बैठे कर्मचारी और अधिकारी कभी आधार नंबर गलत होने, तो कभी बैंक अकाउंट गलत होने की बात कर मामले को टालते रहे. कर्मी ने यहां तक कहा कि खर्चा कीजियेगा, तो ठीक हो जायेगा.
महीनों दौड़-धूप के बाद कार्यालय में किसी ऑपेरेटर ने बुजुर्ग की दयनीय स्थिति को देखते हुए सरकार के वेबसाइट को सर्च किया और उनके वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलने के कारण को खंगाला, तो पता चला कि ई-लाभार्थी के वेबसाइट पर लाभार्थी को मृत घोषित कर दिया गया है. यही कारण था कि पेंशन मिलना बंद हो गया. सारी स्थिति स्पष्ट होने के बाद मामले को लेकर बुजुर्ग ने त्रिवेणीगंज स्थित लोक शिकायत निवारण में आवेदन दिया. लेकिन, वहां भी उसे उम्मीद के हिसाब से न्याय नहीं मिला.
लिहाजा निराश होकर बुजुर्ग बेचन झा जिला लोक शिकायत पहुंचे हैं. उन्हें जीवित होते हुए जिंदा होने का प्रमाणपत्र कब तक मिलता है और पेंशन फिर कब से शुरू हो पाता है, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा. साथ ही दोषियों के विरुद्ध कब तक कर्रवाई हो पाती है, कहना मुश्किल है. बताया जाता है कि मामले के सुर्खी में आ जाने के बाद छातापुर प्रखंड कार्यालय के अधिकारी और कर्मी ई-लाभार्थी के वेबसाइट पर बुजुर्ग की वर्तमान स्थिति के कॉलम में बैंक अकाउंट का सत्यापन नहीं लिख कर भूल सुधार की कोशिश में जुट गये हैं.
फिलहाल बुजुर्ग को खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं. किसी तरह चंदा इकट्ठा कर बुजुर्ग को ग्रामीणों द्वारा केस लड़ने और जाने-आने के लिए मदद तो कर दी जाती है, पर गैर कब तक मदद करते रहेंगे. मामले में छातापुर बीडीओ अजीत कुमार सिंह से बात करने की कोशिश की गयी, कि आखिर कैसे और कहां चूक हुई. इस पर उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुछ कहने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने इतना कहा है कि पेंशन चालू हो जायेगी.