Sharjeel Imam: बिहार की सियासत में एक नया मोड़ तब आया जब UAPA के तहत जेल में बंद छात्र नेता शरजील इमाम के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई. किशनगंज सीट से उनकी संभावित उम्मीदवारी को लेकर न केवल राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ी है, बल्कि स्थानीय मतदाताओं के बीच भी बहस तेज हो गई है. इस बात की पुष्टि खुद उनके भाई मुजम्मिल इमाम ने की है.
किसी आम नेता से अलग है शरजील इमाम की कहानी
शरजील इमाम की कहानी किसी भी आम नेता से अलग है. वह जहानाबाद के काको गांव के एक प्रभावशाली मुस्लिम परिवार से आते हैं. उनके पिता अरशद इमाम जेडीयू के वरिष्ठ नेता थे और 2005 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. शिक्षा की बात करें तो शरजील ने पटना के सेंट जेवियर हाई स्कूल से पढ़ाई की, फिर दिल्ली पब्लिक स्कूल वसंत कुंज से 12वीं की. इसके बाद उन्हें आईआईटी बॉम्बे में 227वीं रैंक के साथ एडमिशन मिला, जहां से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक और एमटेक किया.
डेनमार्क में बतौर प्रोग्रामर किया है काम
शरजील ने डेनमार्क में बतौर प्रोग्रामर काम किया और फिर भारत लौटकर जेएनयू में आधुनिक इतिहास में पीएचडी शुरू की. यहीं से उनका जुड़ाव छात्र राजनीति से हुआ. 2020 में CAA विरोधी आंदोलन के दौरान उनके एक बयान को देशद्रोह का मामला बना दिया गया और उन पर UAPA के तहत केस दर्ज हुआ. फिलहाल वे दिल्ली की जेल में बंद हैं और उनकी जमानत याचिका लंबित है.
UAPA जैसे गंभीर धाराओं के तहत हैं आरोपी
अब जेल से चुनाव लड़ने की उनकी मंशा ने एक बार फिर बहस को जन्म दे दिया है. क्या UAPA जैसे गंभीर धाराओं के तहत आरोपी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है? कानूनी तौर पर, जब तक किसी को दोषी करार नहीं दिया जाता, वह चुनाव लड़ सकता है, लेकिन सियासी और नैतिक दृष्टिकोण से यह मुद्दा जटिल है.
मुस्लिम बहुल इलाका है किशनगंज
किशनगंज एक मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां शरजील की उम्मीदवारी को लेकर कुछ लोग इसे ‘सामाजिक न्याय की लड़ाई’ बता रहे हैं, तो कुछ इसे समाज को बांटने वाली राजनीति करार दे रहे हैं. इस बीच, शरजील के भाई मुजम्मिल और चाचा अरशद इमाम स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं और संगठन खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.
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