Bihar News : बिहार में बढ़ते सड़क हादसे सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन चुके हैं. हर साल हजारों जानें सड़क पर जा रही हैं और आंकड़े लगातार डराने वाले होते जा रहे हैं. इसी पृष्ठभूमि में परिवहन विभाग ने बड़ा और नीतिगत फैसला लिया है.
अब राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों की ट्रेनिंग अनिवार्य होगी. नए साल से लागू होने वाली इस व्यवस्था का मकसद साफ है, प्रशिक्षित चालक, जागरूक नागरिक और सुरक्षित सड़कें.
अब लाइसेंस से पहले सीखना होगा सड़क का अनुशासन
परिवहन विभाग के अनुसार पटना समेत राज्य के सभी डीटीओ कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस आवेदकों को पहले रोड सेफ्टी और ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दी जाएगी. इसके बाद स्थायी लाइसेंस के लिए टेस्ट लिया जाएगा.
यदि टेस्ट के बाद भी नियमों को लेकर स्पष्टता नहीं हुई, तो लाइसेंस के साथ सड़क सुरक्षा से जुड़ी किट और ट्रैफिक नियमों का पंपलेट डाक के जरिए आवेदक के घर भेजा जाएगा. सरकार का मानना है कि बार-बार समझाने और पढ़ने से ड्राइविंग व्यवहार में बदलाव आएगा.
लाखों नए चालकों तक पहुंचेगा असर
इस योजना से हर साल करीब 10 से 12 लाख नए ड्राइविंग लाइसेंस धारकों को सीधा लाभ मिलेगा. इसके साथ ही दो लाख से अधिक प्राइवेट, कॉमर्शियल और सरकारी वाहन चालकों को भी विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. परिवहन विभाग ने सभी जिलों के डीटीओ को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के चालकों की सूची तैयार करें, ताकि प्रशिक्षण कार्यक्रम को व्यवस्थित ढंग से लागू किया जा सके.
परिवहन सचिव राज कुमार ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिला परिवहन अधिकारियों और अन्य पदाधिकारियों के साथ विभागीय योजनाओं की समीक्षा की. उन्होंने स्पष्ट कहा कि सड़क सुरक्षा केवल प्रवर्तन का विषय नहीं है. प्रशिक्षित चालक, बेहतर आधारभूत संरचना और व्यापक जन-जागरूकता से ही हादसों में कमी लाई जा सकती है. उन्होंने शहरी क्षेत्रों में जाम से निजात दिलाने और सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया.
सरकारी और कॉन्ट्रैक्ट ड्राइवर भी होंगे प्रशिक्षित
बैठक में यह भी तय किया गया कि सरकारी और कांट्रैक्ट पर कार्यरत सभी वाहन चालकों को आईडीटीआर में सड़क सुरक्षा से संबंधित विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे सरकारी वाहनों का संचालन अधिक सुरक्षित, अनुशासित और नियमसम्मत हो सकेगा. साथ ही प्रत्येक जिले को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे दुर्घटना संभावित स्थलों की पहचान कर वहां प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा उपाय लागू करें.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में बिहार में सड़क हादसों में 8,873 लोगों की मौत हुई थी. 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 9,347 हो गया. यानी महज एक साल में लगभग पांच प्रतिशत की वृद्धि. सड़क दुर्घटनाओं से मौत के मामलों में बिहार देश के शीर्ष दस राज्यों में सातवें स्थान पर है. इन आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि अब सिर्फ चालान और सख्ती से काम नहीं चलेगा.
चालान से आगे जागरूकता की सोच
2024-25 में बिहार में करीब 24 लाख ई-चालान काटे गए, फिर भी हादसों में अपेक्षित कमी नहीं आई. यही वजह है कि सरकार अब डर के बजाय समझ और प्रशिक्षण पर जोर दे रही है. डीएल के साथ रोड सेफ्टी किट, पंपलेट और जागरूकता कार्यक्रम इसी सोच का हिस्सा हैं.
परिवहन विभाग का यह फैसला सड़क सुरक्षा को लेकर नीति स्तर पर बदलाव का संकेत देता है. यदि यह योजना प्रभावी ढंग से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में बिहार की सड़कों पर हादसों की संख्या घटने और जिम्मेदार ड्राइविंग संस्कृति विकसित होने की उम्मीद की जा सकती है.
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