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सिवान में बंद पड़ा है जलापूर्ति केंद्र, पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से 2001 में बनकर हुआ था तैयार

इस चिलचिलाती धूप में यात्री व बाजारवासी शुद्ध पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं. ऐसे में पानी की तलाश जारी हो जाती है. लेकिन प्रखंड मुख्यालय में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है.

महीना चैत का लेकिन गर्मी जेठ वाली. पारा लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे जल स्तर गिरता जा रहा है. इस चिलचिलाती धूप में यात्री व बाजारवासी शुद्ध पेयजल के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं. प्रखंड मुख्यालय में विभिन्न कामों को लेकर लोगों का आना व इतनी गर्मी में बार-बार प्यास लगना लाजिमी है. ऐसे में पानी की तलाश जारी हो जाती है. लेकिन प्रखंड मुख्यालय में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है.

16 लाख रुपये की लागत से निर्मित

अलबत्ता प्रखंड मुख्यालय के ब्लॉक मैदान के दक्षिणी छोर पर करीब 16 लाख रुपये की प्राक्कलित राशि से निर्मित जलापूर्ति केंद्र अपने उद्देश्य की पूर्ति में विफल है. अपने लक्ष्य से कोसों दूर रह गया है. यूं कहें कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से 2001 में करीब 16 लाख रुपये की लागत से निर्मित यह जलापूर्ति केंद्र अपने निर्माण काल से नाकारा बना हुआ है. बाजारवासी बताते हैं कि दरअसल, इसके निर्माण के दौरान ही प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं किया गया.

1996 में शिलान्यास किया गया

बताया जाता है कि एक किलोमीटर परिधि के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य को लेकर 1996 में इसका शिलान्यास किया गया. बाजरवासियों का कहना है कि इस जलापूर्ति केंद्र के निर्माण के दौरान ही मानक के अनुरूप कार्य नहीं हुआ. इसका नतीजा यह निकाला कि जब जलापूर्ति केंद्र चालू किया गया तो पानी नल से गिरने के बजाय जमीन से निकलने लगा था व जामो चौक पर पूरा पानी बिखर गया था.

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नल कुछ ही दिनों में टूटकर धराशायी हो गये

इतना ही जलापूर्ति के लिए बनाये गये सारे नलके चाहे थाना चौक के हों या जामो चौक के हों या फिर अस्पताल के पास के हों. तमाम नल कुछ ही दिनों में टूटकर धराशायी हो गये थे. मजेदार बात तो यह है कि इसके उद्घाटन के दिन भी विद्युत आपूर्ति के अभाव में जलापूर्ति केंद्र चालू नहीं हो सका था. और दौर खत्म हो चुका है कि अब पर्याप्त विद्युत आपूर्ति हो रही है. लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण जलापूर्ति आज बाधित है. बहरहाल, शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए निर्मित यह जलापूर्ति केंद्र अपने उद्देश्य की पूर्ति में विफल है.

क्या कहते है अधिकारी  

बीडीओ प्रणव कुमार गिरि ने कहा की मामला संज्ञान में आया है. इसमें सुधार के लिए पीएचइडी विभाग के जेइ से बात कर समस्या का समाधान निकाला जायेगा.

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