प्रतिनिधि, सीवान. एक समय ऐसा लग रहा था कि मैं अब जिंदा नहीं बचूंगी. क्योंकि खांसते- खांसते दम फूलने लगता था कि जिंदा रहने से बेहतर मर जाना ही अच्छा होता. यह कहानी शहर के फल मंडी निवासी अर्जुन प्रसाद और सीमा देवी की 21 वर्षीय पुत्री रिया कुमारी की है. रिया मार्च 2021 में सूखा खांसी, बुखार और सीने में दर्द की शिकायत से परेशान होने के कारण लगभग 4 से 5 निजी डाॅक्टरों से उपचार करा चुकी थी. लेकिन ठीक नहीं होने से खुद के साथ घर परिवार के लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. साथ ही आर्थिक रूप से काफी बोझ भी सहना पड़ा था. थक हार कर अंत में सरकारी अस्पताल गयी. जिसके बाद हर तरह की जांच और दवाएं दी गई.लगभग नौ महीने सुचारू रूप से दवा का सेवन के साथ-साथ पोषण युक्त आहार खाने से अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है. जिला यक्ष्मा केंद्र में रिया का हुआ निःशुल्क इलाज रिया की मां सीमा देवी ने बताया कि अपनी बेटी को रिक्शा में किसी तरह से बैठाकर सदर अस्पताल लेकर गई. क्योंकि उस समय लगभग 30 किलो वजन था. काफी दुबली पतली होने से चलने फिरने या खड़ा होने के लिए किसी का सहारा लेना पड़ता था. हमलोगों को लगा कि बीमारी अब ठीक होने वाला नहीं है. लेकिन सदर अस्पताल में बलगम, एक्सरे, एच आई वी, उच्च गुणवत्ता और मधुमेह की जांच की गई. उसके बाद पता चला कि फेफड़े में टीबी हुई है. इतना सुनते ही हमलोगों को चिंता सताने लगी कि इतना महंगा इलाज हमलोग कैसे कराएंगे. क्योंकि शहर के निजी चिकित्सकों से इलाज कराने में काफी पैसा लग गया था. परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. यक्ष्मा विभाग के तत्कालीन जिला समन्यवक दिलीप कुमार और वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक राम सागर राम ने हमलोगों को काफी समझाया और ढाढस बढ़ाया. दवा के साथ ही हमलोगों ने बेटी को पोषण युक्त आहार खाने के लिए हरी साग सब्जी, फल, अंडा, चना, गुड़, दूध सहित पौष्टिक भोजन खिलाई गई.जिस कारण बहुत ही जल्द ठीक हो गयी. टीबी बीमारी को मात देकर टीबी मरीजों को जागरूक कर रही है रिया रिया कुमारी का कहना है कि नगर परिषद क्षेत्र के लगभग तीन सौ से अधिक टीबी मरीजों को जागरूक करते हुए दवा, जांच और समुदायिक स्तर पर सभी लोगों को यक्ष्मा जैसी बीमारी से बचाव, लक्षण और उचित उपचार के साथ ही पोषण युक्त आहार खाने के लिए प्रेरित और सलाह देने का काम करती हूं. यक्ष्मा विभाग को डॉट प्रोवाइडर के रूप में सहयोग करने वाली रीच इंडिया के द्वारा दिसंबर 2023 में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल भी रही थी. टीबी चैंपियन तब मरीजों को प्रेरित करते है सही इलाज के लिए जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि देश से क्षय रोग यानि टीबी जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करना टीबी चैंपियन का मुख्य उद्देश्य होता है. क्योंकि यह लोग खुद टीबी से ठीक हो चुके होते हैं.लेकिन अब सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाने, मरीजों को सही इलाज लेने के लिए प्रेरित करने और भेदभाव को कम करने का काम करते हैं. सरकार और गैर- सरकारी संगठन इन चैंपियनों के माध्यम से समुदाय में टीबी के प्रति गलत धारणाओं को दूर करने और समय पर इलाज सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं.
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