प्रतिनिधि, हसनपुरा. पिछले दिनों मेंथा चक्रवात के दौरान हुई झमाझम बारिश ने हसनपुरा प्रखंड के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बारिश के बाद खेतों में पानी भर जाने से धान की खड़ी फसल पूरी तरह डूब गई थी. पानी घटने के बाद किसान खेतों में उतरकर गिरी हुई फसल को किसी तरह छानकर काट रहे हैं, ताकि कुछ अनाज बचाया जा सके. किसानों ने बताया कि चार महीने कि मेहनत एक झटके में बर्बाद हो गई. जो फसल तैयार थी, वह पानी में गिरकर सड़ने लगी है.अब जितना बचेगा, वही घर का गुजारा बनेगा. धान की कटाई में देरी और खेतों में जल जमाव के कारण अब रबी की बुआई मुश्किल दिख रही है. क्योंकि खेत के सूखे बिना जुताई संभव नहीं है. कृषि समन्वयक बृज बैरिस्टर सिंह, उपेंद्र कुमार, नरेंद्र किशोर सिंह व अन्य का कहना है कि 15 नवम्बर से रबी फसल की बुआई शुरू होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस बार बुआई में दो से तीन हफ्ते की देरी हो सकती है. खेतों में जमा पानी सूखने और भूमि तैयार होने में समय लगेगा. किसानों का कहना है कि जल निकासी की समुचित व्यवस्था और बीज व खाद की समय पर उपलब्धता नहीं हुई, तो रबी सीजन पर इसका सीधा असर पड़ेगा. इस बीच कई किसान फसल क्षति का सर्वे कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं. धान की कटनी में जुटे किसान व मजदूर महाराजगंज. किसान अब धान फसलों की कटाई के काम में जुट गए हैं. किसान और मजदूर तेजी से अब धान की तैयार फसलों को खलिहान में लाने में जुटे हुए हैं. इस संबंध में किसान प्रमोद कुमार ने बताया कि इस बार धान कि फसल बहुत ही अच्छी पैदावार हुई था. लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के कारण खेत में पानी लगने व धान को खेत में गिर जाने के चलते धान की फसल बर्बाद हुआ है.अब खेतों में तैयार खड़ी धान को किसानों के द्वारा खेत में लगे पानी के बीच धान की कटनी भी शुरू कर दी गई थी. लेकिन मोंथा चक्रवात के प्रभाव से प्रखंड में हुई बारिश ने खेतों को गीला कर दिया था. जिससे धान की कटनी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो गया था. इसके साथ छठ पर्व के बाद ही विधानसभा चुनाव के निकट आने के कारण लोग चुनाव प्रचार में लगे हुए थे. इसके कारण खेतों में काम काज प्रभावित हो रहा था. अब चुनाव खत्म होने के साथ ही किसान धान की फसलों की कटाई में जुट गए हैं.
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