सीवान. शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने और स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने के लिए महत्वपूर्ण दिशा -निर्देश जारी किया है. विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई छात्र लगातार एक माह तक विद्यालय नहीं आता है, तो यह माना जाएगा कि वह विद्यालय छोड़ चुका है. इस संबंध में स्कूलों को एक विस्तृत कार्य योजना लागू करने का आदेश दिया गया है.जिससे किसी भी छात्र की पढ़ाई बाधित न हो.साथ ही छात्रों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.विभाग का प्रमुख नारा हर बच्चा स्कूल जाए, कोई बच्चा छूट न पाए, इस नई व्यवस्था की आधारशिला है. छात्रों की अनुपस्थिति की होगी निगरानी शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए निर्देश के मुताबिक छात्रों की अनुपस्थिति की निगरानी और उन्हें विद्यालय में वापस लाने की जिम्मेदारी विभिन्न स्तरों पर तय की गई है. लगातार तीन दिन तक कोई छात्र अनुपस्थित रहता है तो, सबसे पहले सहपाठी छात्र उस बच्चे को स्कूल लाने का प्रयास करेंगे. मित्रता और संवाद के माध्यम से बच्चे को प्रेरित करने की जिम्मेदारी इस स्तर पर होगी. वही लगातार सात दिन तक कोई बच्चा स्कूल नहीं आता है तो, वर्ग शिक्षक छात्र और उसके परिवार से संपर्क कर कारण जानेंगे और उसे विद्यालय आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.बच्चे की 14 दिन की अनुपस्थिति पर प्रधानाध्यापक स्वयं पहल करेंगे और बच्चे के अभिभावकों से मिलकर समस्या जानने और उसका समाधान ढूंढने का प्रयास करेंगे. बच्चे के विद्यालय में 21 दिनों तक अनुपस्थित रहने पर विद्यालय प्रबंधन समिति उक्त बच्चे को स्कूल वापस लाने का प्रयास करेगी. 28 वें दिन तक होगी आखिरी कोशिश यदि तमाम प्रयास के बाद छात्र स्कूल नही आता है, तो 28 दिन की अनुपस्थिति पर विद्यालय प्रबंधन समिति अंतिम प्रयास करेगी.यदि इसके बावजूद विद्यार्थी विद्यालय नहीं आता है, तो 30वें दिन उसे छीजित घोषित किया जाएगा. इसकी जानकारी प्रखंड एवं जिला शिक्षा कार्यालय को भेजी जाएगी.डीइओ राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि विभाग का मानना है कि कई बार बच्चों की अनुपस्थिति सामाजिक, पारिवारिक या आर्थिक कारणों से होती है. इसलिए अलग-अलग स्तर पर सतत प्रयास से उन्हें फिर से विद्यालय से जोड़ा जा सकता है.
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