प्रतिनिधि, सीवान. मॉनसून का साथ नही मिलने के चलते धान धान की रोपनी की गति काफी धीमी है. किसान बारिश का इंतजार कर रहे है. वहीं कुछ किसान पंप सेट के सहारे धान की रोपनी शुरू कर दी है. जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. लक्ष्य के अनुरूप अब तक मात्र 12 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो सकी है. जिले में वर्ष 2025-26 में खरीफ फसल का लक्ष्य 1.25 लाख हेक्टेयर रखा गया है. वहीं 1.13 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है. किसानों ने 10074 हेक्टेयर खेतों में बिचड़ा लगाया है. जिला का मुख्य खरीफ की फसल धान ही है. अधिकांश किसान धान की बुआई के लिए बारिश पर निर्भर हैं. एक जुलाई की शुरुआत में 83 एमएम बारिश हुई है. जबकि इस माह में औसत वर्षापात 321 एमएम है. जिस प्रकार मौसम का मिजाज बदल रहा है, इस परिस्थिति में लक्ष्य तो दूर लक्ष्य का आधा भी धान की रोपाई संभव नहीं दिख रहा है. किसान केदारनाथ गिरी ने बताया कि प्रकृति की मार किसानों पर बरस रही है. धान की खेती पर बढ़ रहा अतिरिक्त खर्च किसानों ने बताया कि वर्तमान परिस्थिति में धान की खेती करना कठिन है. पहले धान की खेती करना आसान था. समय से पानी हो जाता था. इससे अतिरिक्त खर्च नही करना पड़ता था. विगत कुछ साल से समय पर बारिश नही हो रही है. जिसके चलते आर्थिक बोझ बढ़ गया है. कृत्रिम संसाधनों से धान की रोपनी करने से दो हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.मजदूर,खेत की जुताई व पानी को मिलाकर एक बीघा खेत मे धान की रोपनी करने पर लगभग दस हजार रुपये का खर्च आता है. जल्द बारिश नहीं हुई तो बिचड़ा बचाना होगा मुश्किल किसानों ने बताया कि खेतों में डाले गए बिचड़ा में करीब 50 फीसदी का नुकसान हो चुका है. यदि ऐसा ही मौसम रहा तो नुकसान बढ़ जाएगा. किसान अमित कुमार,ओमप्रकाश सिंह,सुदामा कुशवाहा सहित अन्य ने बताया कि बिचड़ा डाले गए खेतों में दरार पड़ गया है. यदि जल्द वर्षा नहीं हुई तो बिचड़ा को बचाना मुश्किल है. .किसानों ने बताया कि जो बिचड़ा लगाए गए हैं वह पानी के अभाव कारण बिचड़ा अंतिम सांस गिन रहा है.
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