सीवान.ठंड व वायु प्रदूषण की दोहरी मार ने आम जन जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है. जिले में एक पखवारा से ठंड का कहर जारी है.शुक्रवार को भी चारों तरफ घना कोहरा देखने को मिला.वही वायु वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है. जिला मुख्यालय स्थित रेलवे जंक्शन के समीप की एक्यूआइ 211 दर्ज किया गया.वही ग्रामीण क्षेत्र जीरादेई प्रखंड के विजयीपुर मोड़ का एक्यूआइ 194 दर्ज किया गया.इसके साथ ही अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया. पर्यावरणविदों के अनुसार ठंड के मौसम में नमी व धूल मिलकर समस्या बढ़ा रहे है. ऊपर से नीचे आने वाली ठंडी हवा धूलकण को नीचे लाती है. नीचे की धूल नीचे ही रहती है.जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है.प्रदूषण व कड़ाके की ठंड में सेहत के प्रति सावधानी रखना जरूरी है. ठंड में ज्यादा होता है वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण का कहर ठंड में ज्यादा होता है. खिली धूप नहीं होने की वजह से हवा को साफ होने में ज्यादा वक्त लगता है. ठंड में वायुमंडल में अलग तरह के बदलाव होते हैं. इसकी वजह से हवा की दिशा, गति बदलती है और तापमान गिरता है. इसी वजह से प्रदूषण फैलता है और खिली धूप नहीं होने के कारण स्थिर हो जाता है. उसे फटने में वक्त लगता है. इस वजह से ठंड में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है. आमतौर पर लोगों को सांसों के द्वारा शुद्ध हवा तब तक मिलती है जब तक एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 होता है.101 से 200 के बीच जब एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंच जाता है तो सांस लेने में समस्या होनी शुरू हो जाती है.लोगों को फेफड़े, अस्थमा और हृदय से संबंधित बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. यही जब 201 से 300 के बीच पहुुंच जाता है तो खतरनाक माना जाता है. लेकिन जब यह 301 से 400 के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंच जाता है तो इससे खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. एक्यूआई की इस श्रेणी को बहुत ही खराब स्थिति माना जाता है.इसका सर्वाधिक असर स्वस्थ व्यक्ति के भी सेहत पर पड़ता है.पिछले रिकॉर्ड को देखे तो जिले की एक्यूआई 150 और 250 के बीच रह रहा है. यहां के लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे है.डॉक्टरों का भी मानना है कि यह हवा लोगों के लिए ठीक नही है. खटारा गाड़ियों व निर्माण कार्यों से परेशानी विज्ञान के शिक्षक आशुतोष कुमार कहते है कि कचरा जलाने, निर्माण कार्यों में मानकों की अवहेलना, निर्माण सामग्रियों की बिना ढंके ढुलाई, सड़क जाम तथा खटारा गाड़ियों के चलते वायु दूषित हो रही है.ठंड से बचने के लिए लोग अलाव जला रहे है.जिससे वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है वही धड़ल्ले से चल रही खटारा डीजल गाड़ियां प्रदूषण के कारण है.इन पुरानी डीजल गाड़ियों के संचालन के प्रति प्रशासन गम्भीर नही है. फेफड़ा में संक्रमण, हृदय व आंख समेत कई बीमारियों की वजह प्रदूषण व ठंड गलन भरी ठंड व हवा में प्रदूषण के चलते लोगों में फेफड़ा में संक्रमण,हृदय व आंख की बीमारी पनप रही है.चिकित्सकों के मुताबिक हवा में प्रदूषण नहीं बढ़े इसके लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाने चाहिए. इसके अनियंत्रित होने के कारण लोगों को कई तरह के संक्रमण का सामना करना पड़ सकता है. ज्यादा देर तक प्रदूषित हवा में रहने पर दमा हो सकता है. यदि हवा में शामिल प्रदूषित कण फेफड़े में जमा हो जाते हैं तब संबंधित व्यक्ति आइएसएलडी नामक रोग का शिकार हो सकता है. हृदय रोग के अलावा आंख में जलन व संक्रमण के कारण रोग हो सकता है.
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