गुठनी. प्रखंड क्षेत्र में बिना मान्यता और पंजीकरण के संचालित नर्सिंग होम और क्लिनिकों का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है. क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक झोलाछाप डॉक्टर बिना लाइसेंस और डिग्री के नर्सिंग होम खोलकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इसका सबसे अधिक खामियाजा गरीब और कम पढ़े-लिखे लोगों को भुगतना पड़ रहा है, जो बिचौलियों के जाल में फंसकर आर्थिक शोषण के साथ कई बार अपनी जान तक गंवा बैठते हैं. स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार बिना मान्यता, लाइसेंस और पंजीकरण के कोई भी व्यक्ति मरीजों का इलाज नहीं कर सकता. इसके बावजूद नियम-कानून को ताक पर रखकर प्रखंड मुख्यालय सहित तेनुआ, जतौर, बलुआ, चिताखाल, नैनीजोर और सेलोर समेत कई गांवों में दर्जनों अवैध क्लीनिक और नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. इस गंभीर समस्या को लेकर आपके अपने अखबार प्रभात खबर ने शनिवार को प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था. खबर प्रकाशित होते ही स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी नवनीत नमन को जांच का आदेश दिया. आदेश मिलते ही मंगलवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित करीब आधा दर्जन नर्सिंग होम और क्लीनिकों की जांच की गयी. जांच की सूचना मिलते ही कई संचालक क्लिनिक बंद कर फरार होते देखे गये. जांच के दौरान बिना मान्यता के संचालित आधा दर्जन निजी अस्पताल, क्लिनिक और तीन मेडिकल स्टोर को चिन्हित किये गये. जांच में इन संस्थानों में नियमों की खुलेआम अवहेलना पायी गयी. जांच टीम में बीडीओ नवनीत नमन, औषधि निरीक्षक दयानंद प्रसाद, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शब्बीर अख्तर और थानाध्यक्ष मनीष कुमार शामिल थे. अधिकारियों ने नर्सिंग होम और मेडिकल स्टोर से संबंधित आवश्यक कागजातों की जांच की और संचालकों को जरूरी दिशा-निर्देश दिये. जांच रिपोर्ट तैयार कर जिला मुख्यालय को भेज दी गयी है. अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि बिना मान्यता संचालित नर्सिंग होम, झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध मेडिकल स्टोर के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने लोगों से अपील की कि इलाज के लिए केवल पंजीकृत और मान्यता प्राप्त चिकित्सकों से ही संपर्क करें, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके.
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