विनय तिवारी
नयी दिल्ली : राजद के पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन को सीवान जेल से तिहाड़ भेजने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. शीर्ष अदालत ने पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और चंदा बाबू की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शहाबुद्दीन पर मामलों की सुनवाई बिहार में ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से होगी. जेल में उन्हें किसी प्रकार की विशेष सुविधा नहीं मिलेगी. न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश अमिताव रॉय के खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार आरोपित के अलावा पीड़ित का भी है.
व्यक्तिगत न्याय के लिए शहाबुद्दीन को सीवान से तिहाड़ जेल भेजा जाना जरूरी है. कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर शहाबुद्दीन को तिहाड़ भेजने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले की गंभीरता को देखते हुए कठोर कदम उठाये गये हैं ताकि निष्पक्ष सुनवाई हो सके. खंडपीठ ने हाइकोर्ट को 4 महीने के अंदर सुनवाई का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सही है कि सुनवाई के दौरान आरोपी को अदालत के समक्ष पेश होना चाहिए, लेकिन न्याय की रक्षा के लिए इसे बदला जा सकता है. पीड़ितों के न्याय के लिए आरोपी को बिहार के बाहर जेल में भेजने की दलील सही है, और साथ ही आरोपी के अधिकारों की भी रक्षा करनी है. हमें बताया गया है कि आरोपी की पत्नी और बच्चे दिल्ली में रहते हैं. ऐसे में आरोपी को तिहाड़ भेजना सही होगा. जेल नियमों के अनुसार आरोपी अपने परिवार से मिल सकते हैं.
राजदेव व चंदा बाबू की याचिका पर फैसला
पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और तीन बेटों को गंवा चुके चंद्रेश्वर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर शहाबुद्दीन को बिहार से तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने की मांग की थी. पिछले साल 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए जमानत रद्द करते हुए शहाबुद्दीन को वापस जेल भेज दिया था. हालांकि शहाबबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन पर लगाये गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.
मौलिक अधिकार का हवाला दे किया विरोध
शहाबुद्दीन के वकील ने आरोपी के मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए जेल हस्तांतरण का विरोध किया था. इसपर अदालत ने कहा कि यहां सिर्फ सवाल आरोपी के अधिकारों का नहीं है बल्कि पीड़ितों के स्वतंत्रता से जीवन जीने के अधिकार का भी है. सुप्रीम कोर्ट की यह जिम्मेदारी है कि वो हर मामले में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करे और हर मामले के तथ्यों को देखकर और जनता के हित को ध्यान में रखकर फैसला कर सकता है कि सुनवाई निष्पक्ष हो.
पप्पू यादव का दिया गया उदाहरण
पीड़ित पक्ष के वकील प्रशांत भूषण ने शहाबुद्दीन को तिहाड़ भेजने के पक्ष में पप्पू यादव के मामले का जिक्र करते हुए कहा था कि जब उन्हें भी पटना के बेउर से तिहाड़ जेल भेजने का मामला सामने आया था तो दलील दी गयी थी कि इससे आरोपी के मौलिक अधिकारों का हनन होगा. तब शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के हवाला देते हुए आरोपी के जेल हस्तांतरण को अदालत के अधिकार के दायरे में बताया था.
घटनाक्रम
7 सितंबर, 2016 : पटना हाइकोर्ट ने गवाह हत्याकांड में मोहम्मद शहाबुद्दीन को जमानत दी.
10 सितंबर, 2016 : 11 साल बाद भागलपुर जेल से बाहर आये, काफिले के साथ सीवान पहुंचे.
16 सितंबर, 2016 : पीड़ित चंदा बाबू और राज्य सरकार बेल रद्द करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
23 सितंबर, 2016 : मारे गये पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन सुरक्षा व मामला दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं.
25 सितंबर, 2016 : चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी उस मामले में जमानत रद्द करवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचींने, जिसमें उन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी.
30 सितंबर, 2016 : सुप्रीम कोर्ट ने गवाह हत्याकांड में हाइकोर्ट से मिली जमानत रद्द की. शहाबुद्दीन ने सीवान कोर्ट में किया सरेंडर
17 जनवरी, 2017 : राज्य से बाहर के जेल में शिफ्ट करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
15 फरवरी, 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने का दिया आदेश.
कोर्ट के इस आदेश के बाद अब न्याय मिलने की उम्मीद है. इस कार्य में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण मेरे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं रहे हैं. अब यही ख्वाहिश है कि शहाबुद्दीन को फांसी की सजा हो, नहीं तो ताउम्र जेल में ही रखा जाये. राज्य के बाहर जेल में रखे जाने के बाद ही सीवान की जनता के बीच से उसका डर खत्म होगा. (चंदा बाबू, दो घटनाओं में तीन पुत्रों को गंवानेवाले)
बड़ी राहत मिली है. कोर्ट पर विश्वास बढ़ा है. शहाबुद्दीन को अब आजीवन तिहाड़ में रखना चाहिए. मुझे बहुत डराया-धमकाया गया. अब गवाह बिना भय के गवाही दे पायेंगे. पति के हत्यारों को सजा मिले, यही ख्वाहिश है. पति की हत्या का कारण व इसकी साजिश रचनेवालों के नाम उजागर हों. यह हमारी सबसे मांग है. (आशा रंजन, पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति आने के बाद तिहाड़ जेल में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. कोर्ट के निर्णय के अनुसार कार्य होगा. आदेश के बाद की स्थिति की समीक्षा करते हुए सुरक्षा के लिहाज से सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं. (महेंद्र कुमार, डीएम, सीवान)
पत्रकार हत्याकांड लड्डन बोला, शहाबुद्दीन ने मेरे परिवार की जमीन जबरन लिखवा ली
मुजफ्फरपुर. पत्रकार राजदेव हत्याकांड में आरोपित लड्डन मियां ने बुधवार को बड़ा बयान दिया. कोर्ट में पेशी के लिए जाते समय पत्रकारों से उसने कहा, शहाबुद्दीन ने मेरे पिताजी से एक कट्ठा और बड़े पिताजी से आठ कट्ठा जबरन जमीन लिखवा ली. डर से परिजनों ने उन पर केस नहीं किया. साथ ही उसने कहा कि पत्रकार राजदेव की हत्या से मेरा कोई कनेक्शन नहीं है. मैं राजदेव काे जानता तक नहीं हूं. पुलिस इसमें मुझे बेवजह घसीट रही है.