पुपरी. कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी द्वारा संचालित टीडीसी-निकरा परियोजना के परिणाम आधारित जोनल मॉनिटरिंग समिति की बैठक शुक्रवार को हुई. इस दौरान समिति के अध्यक्ष एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व पूर्वी क्षेत्र के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ एस कुमार ने किसानों को बताया कि इस बदलते हुए जलवायु में कृषि प्रणाली में परिवर्तन की जरूरत है. जिसका बेहतर परिणाम अनुमंडल क्षेत्र के पिपराढ़ी गांव में दिख रहा है. कहा, इसमें बिना जुताई किये गेहूं की बुवाई, गेहूं की जलवायु अनुकूल प्रभेद सबोर निर्जल, डीबीडब्लू 187 धान की जलमग्न प्रभेद स्वर्णा सब 1, परवल में मलचिंग से बेहतर परिणाम आदि शामिल है. सुझाव दिया कि इन सभी तकनीकों को पूरे जिले में व्यापक रूप से प्रचार- प्रसार करने की जरूरत है. ताकि किसानों बेहतर लाभ मिल सके. पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ आरडी सिंह ने कहा कि वर्तमान में सिंचाई जल, खेती योग्य भूमि एवं वानिकी को बेहतर बनाने की जरूरत है. केंद्रीय बारानी अनुसंधान केंद्र हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पीके पंकज ने कहा कि टीडीसी -निकरा परियोजना के तहत पिपराढ़ी गांव में दुधारू पशुओं हेतु खनिज मिश्रण एवं लिवर टॉनिक का प्रत्यक्षण कराया जा रहा है. जिसका परिणाम काफी अच्छा दिख रहा है. इसके प्रयोग से तेज गर्मी एवं ठंड के दौरान दूध उत्पादन में कोई कमी नहीं हुआ है. साथ ही इसके नियमित प्रयोग से यह भी देखा जा रहा है कि जो गाय दो से तीन साल में एक बच्चा देती थी. वही गाय अब प्रत्येक वर्ष एक बच्चे दे रही है. ऐसे में इस तकनीक को व्यापक रूप देने की जरूरत है. अटारी पटना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अमरेंद्र कुमार, केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ राम ईश्वर प्रसाद, मनोहर पंजीकार, पशुचिकित्सा वैज्ञानिक डॉ किंकर कुमार, शस्य वैज्ञानिक सच्चिदानंद प्रसाद, गृह वैज्ञानिक डॉ सलोनी चौहान, कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ पिनाकी रॉय ने भी अपने विचार रखे. अमृता कुमारी को उद्यान के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने को लेकर पुरस्कृत किया गया. मौके पर सुरेंद्र कुमार निराला, श्याम बिहारी राय व नवल महतो समेत अन्य किसान मौजूद थे.
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