सीतामढ़ी. ””””””””साइबर अपराध की जानकारी ही बचाव है”””””””” इस महत्वपूर्ण संदेश के साथ, प्रभात खबर द्वारा डुमरा के सिमरा स्थित सीतामढ़ी सेंट्रल स्कूल में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कूली छात्रों को साइबर अपराधों के विभिन्न पहलुओं और उनसे बचाव के तरीकों से अवगत कराना था. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में साइबर क्राइम डीएसपी आलोक कुमार ने अपनी उपस्थिति से छात्रों और शिक्षकों को मार्गदर्शन दिया. उन्होंने साइबर अपराधों की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए छात्रों को इनसे सुरक्षित रहने के लिए विस्तृत जानकारी प्रदान की. डीएसपी ने सोशल मीडिया के सुरक्षित इस्तेमाल पर जोर दिया. बताया कि किस प्रकार अनजान लोगों से दोस्ती करना या अपनी निजी जानकारी सार्वजनिक करना खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने डिजिटल धोखाधड़ी के विभिन्न तरीकों जैसे ऑनलाइन ठगी, एटीएम फ्रॉड और फर्जी कॉल के बारे में भी छात्रों को सतर्क किया. छात्रों को यह समझाया कि किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी बैंक डिटेल्स या ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी कभी भी साझा न करें. ऑनलाइन गेमिंग के खतरों पर बात करते हुए कहा कि कुछ गेम्स हिंसक या अनुचित सामग्री वाले हो सकते हैं और इनसे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इससे बेहतर है कि रियल वर्ल्ड में फील्ड पर स्पोर्ट्स का हिस्सा बने. इससे मानसिक और शारीरिक विकास में मदद होगी. फेक न्यूज और गलत सूचनाओं की पहचान करने और उन्हें आगे साझा न करने की भी सलाह दी. छात्रों को प्रोत्साहित किया कि यदि उन्हें इंटरनेट पर कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे, तो वे तुरंत अपने शिक्षकों या अभिभावकों को इसकी सूचना दें. यदि उनके साथ किसी भी प्रकार का साइबर अपराध होता है, तो वे तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दें. तत्काल शिकायत दर्ज कराने से पुलिस को कार्रवाई करने और अपराधियों को पकड़ने में आसानी होती है. उन्होंने साइबर हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी.
— साइबर अपराधियों के काम करने की शैली समझाया
1. भय का हथियार : कई बार साइबर अपराधी पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते हैं. वे विभिन्न प्रकार की काल्पनिक कानूनी कार्रवाई का भय दिखाते हैं, जैसे कि किसी अपराध में उनका नाम आना या उनके खिलाफ वारंट जारी होना. इस प्रकार का भय पैदा करके वे लोगों को डराते हैं और उनसे अवैध वसूली करते हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि पुलिस कभी भी फोन पर इस तरह की जानकारी नहीं देती है और न ही पैसों की मांग करती है. छात्रों और शिक्षकों से अपील की कि वे इस तरह के किसी भी संदिग्ध कॉल पर विश्वास न करें और तुरंत इसकी सूचना अपने परिवारजनों या पुलिस को दें.
2. लालच का हथियार : बताया कि साइबर क्रिमिनल अक्सर लोगों को आकर्षक वित्तीय प्रस्ताव देते हैं. शुरुआत में वे छोटे-मोटे फायदे भी करवा सकते हैं, जैसे कि किसी लिंक पर क्लिक करने या किसी ऐप को डाउनलोड करने पर 50 या 100 रुपये का लाभ देना. एक बार जब लोग उनके झांसे में आ जाते हैं, तो वे उन्हें एक फर्जी लिंक भेजते हैं, जिस पर क्लिक करते ही उनके बैंक खाते से सारी रकम निकाल ली जाती है. उन्होंने छात्रों को किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करने और किसी भी ऐसे ऑनलाइन प्रस्ताव पर संदेह करने की सलाह दी जो बहुत आकर्षक लगे— बच्चों ने कहा- नयी और महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलीं
स्कूल के डायरेक्टर ललन कुमार सिंह, प्राचार्य सब्यसाची भद्रा, उप प्राचार्य संतोष कुमार भगत, शिक्षक रामेंद्र ठाकुर, रोशन कुमार झा, अरविंद कुमार पांडे, रमणी रमन ने कहा कि साइबर डीएसपी सर द्वारा साझा की गयी जानकारी छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी है. आज के डिजिटल युग में बच्चों को साइबर सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांतों को समझना बेहद आवश्यक है. कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और भविष्य में वे संभावित साइबर अपराधों से खुद को सुरक्षित रख पाएंगे. छात्र विशाल कमार, संजना कुमारी, दिलखुश कुमार समेत अन्य ने कहा कि डीएसपी सर द्वारा दी गयी जानकारी को हमने ध्यान से सुना. आज साइबर सुरक्षा से संबंधित कई नयी और महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलीं, जिनके बारे में पहले अनजान थे. अब ऑनलाइन गतिविधियों को लेकर अधिक सतर्क रहेंगे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत अपने शिक्षकों या अभिभावकों को देंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है