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सीतामढ़ी में लोगों ने यूरिया से भरा ट्रक पकड़ा, किसानों में खाद की कालाबाजारी को लेकर आक्रोश

सीतामढ़ी में खाद की कालाबाजारी को लेकर किसानों में आक्रोश है. गेहूं की पटवन के बाद खेतों में यूरिया डालने के लिए नहीं मिल रही है. इधर, किसानों के हंगामा के बाद बीडीओ ने दुकानदार की पंजी भी जब्त कर ली है.

बिहार के सीतामढ़ी जिले में खाद के लिए किसानों में आक्रोश है. परिहार थाना क्षेत्र के जब्दी मोड़ स्थित एक दुकानदार को ग्रामीणों ने खाद की कालाबाजारी करते रंगे हाथ पकड़ लिया. मामले में अपेक्षित कार्रवाई होती नहीं देख ग्रामीणों ने जब्दी मोड़ पर परिहार-बेला पथ को बांस बल्ला लगाकर जाम कर दिया और घंटों बवाल काटा. बाद में सूचना पर पहुंचे प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजदेव राम ने जिला कृषि पदाधिकारी के निर्देश पर दुकान को सील कर दिया. वहीं, दुकानदार सुनील कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने तथा लाइसेंस रद्द करने का अनुशंसा करने का आश्वासन दिया. जिसके बाद आक्रोशित ग्रामीण नरम पड़े और दो घंटे बाद जाम समाप्त हो सका.

किसानों ने दुकानदार को पकड़ा

प्रखंड कृषि पदाधिकारी (बीएओ) ने बताया कि आरोपी दुकानदार के पास 100 बैग खाद आयी थी, जिसे दुकानदार द्वारा कहीं भेज दिया गया था. बाद में हंगामा होने पर दुकानदार ने 57 बैग खाद वापस मंगा ली है. 43 बैग खाद अब भी मिसिंग है. बताया गया है कि शुक्रवार की रात को एक ट्रक पर सुनील समेत कुल चार दुकानदार की खाद आयी थी. रात को ही सुनील अपनी 100 बैग खाद अन्य वाहन पर लोड कर कालाबाजारी के लिए कहीं भिजवा दिया. इसकी भनक लगते ही ग्रामीण वहां जुट गया और हंगामा करने लगे. ग्रामीणों ने दुकान के सामने खड़े ट्रक को घेर लिया. सूचना पर बीडीओ संजीव कुमार व पुअनि ओम कुमार मौके पर पहुंचे. बीडीओ ने मामले की जांच की.

पैक्स भवन पर जमकर हंगामा

बीडीओ ने दुकानदार की पंजी भी जब्त कर ली. बीडीओ द्वारा कार्रवाई के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने ट्रक को छोड़ दिया, जिस ट्रक पर तीन अन्य दुकानदारों की 500 बैग खाद लदी थी. कार्रवाई नहीं होती देख ग्रामीण फिर से आक्रोशित हो गए और सड़क को जाम कर दिया. सुरसंड में गेहूं की खेती के लिए यूरिया खाद की किल्लत झेल रहे प्रखंड के विभिन्न गांव के सैकड़ों किसानों ने शनिवार को सहनियापट्टी गांव में स्थित पैक्स भवन पर जमकर हंगामा किया. खाद लेने के लिए वहां पहुंचे किसानों ने बताया कि गेहूं के खेतों में पटवन के बाद यूरिया खाद देना अनिवार्य है. समय पर खाद नहीं देने से पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. किसानों को न तो डीएपी और न ही यूरिया खाद मिल पाता है.

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खाद विक्रेताओं पर भेदभाव का आरोप

नतीजतन किसानों को प्रखंड क्षेत्र के विक्रेताओं के पास खाद की उपलब्धता रहने के बावजूद ब्लैक से उंची कीमत पर खरीदने की मजबूरी है. किसानों का आरोप था कि प्रखंड स्तरीय विभागीय कर्मियों की मिली भगत से खाद की कालाबाजारी की जाती है. किसानों को मजबूरन ब्लैकीयर से प्रति बैग छह सौ से आठ सौ तक में यूरिया खाद खरीदना पड़ता है. खाद विक्रेताओं पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए अपने चहेते व परिचित किसानों को ही खाद देने की बात बताया. पैक्स भवन की खिड़की पर सुबह से ही भूखे प्यासे लाइन में खड़े कुछ किसान मारामारी करते हुए खाद लेने में सफल रहे. जबकि अधिकांश किसानों को वगैर खाद लिए ही निराश होकर वापस लौटना पड़ा.

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