सीतामढ़ी. जानकी नवमी के अवसर पर जानकी प्राकट्य स्थली, पुनौरा धाम के सीता प्रेक्षागृह में आयोजित श्रीराम-कथा के आठवें दिन सोमवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने कथा को आगे बढ़ाते हुए सीता स्वयंवर व सीता के सोलह कलाओं का प्रसंग सुनाया. डॉ सुरभि झा ने मैथिली गीत से भक्ति भाव का संचार किया. कोई आया सखी फुलवरिया में….व जेहने किशोरी तोहर, ओहने किशोर हे… गीत पर खूब तालियां बजी.
रामभद्राचार्य जी ने कहा कि मां सीता सोलह कला से पूर्ण आदि शक्ति हैं. भविष्य पुराण में सीता प्राकट्य कथा का वर्णन है. वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी को दोपहर 12.00 बजे असरेशा नक्षत्र में मां सीता का प्राकट्य पुनौराधाम के पुण्यारण्य में हुआ. हल की नोक शीत के घर्षण से सोने के सिंहासन पर पीली साड़ी में मां सीता धरती से प्रकट लीं. अवध में श्री कुमार आकाश मार्ग से प्रकट लिए और मिथिला के पुण्यारण्य पुनौराधाम में सीता मिथिला की किशोरी जी धरती से प्रकट लीं. किशोर और किशोरी के प्राकट्य ने धरती आकाश की दूरी को एक कर दिया. जनक के हल को निमित्त बनाकर सीता धरती से प्रकट लीं. उन्होंने सभी से सीता प्राकट्य अवसर पर व्रत रखने का आग्रह किया. वहीं, सभी से श्री सीता शरणम् मम का जाप करने का निवेदन किया. उन्होंने बताया कि मंगलवार के शुभ दिन सीता प्राकट्य हुआ. संयोग से कल मंगलवार है, इसलिए सभी को व्रत करना चाहिये. यह एक सुखद संयोग है. इसके बाद जगद्गुरु ने सीता स्वयंवर, राम-परशुराम संवाद इत्यादि प्रसंग सुनाया. कथा में कथा संयोजक रामशंकर शास्त्री, विधायक मिथिलेश कुमार, शायन कुणाल, राहुल सिंह, धनुषधारी सिंह, रघुनाथ तिवारी, वाल्मीकि कुमार, डॉ वरुण कुमार व डॉ श्वेता समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.
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