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नैनो यूरिया की बढ़ रही मांग, जिले में प्रतिवर्ष 40 हजार बोतल की हो रही खपत

खरीफ मौसम में धान समेत अन्य फसलों के आच्छदन होने के बाद अब किसानों को यूरिया समेत अन्य उर्वरक की आवश्यकता होगी.

डुमरा. खरीफ मौसम में धान समेत अन्य फसलों के आच्छदन होने के बाद अब किसानों को यूरिया समेत अन्य उर्वरक की आवश्यकता होगी. यूरिया के बेहतर विकल्प के रूप में सरकार ने भारतीय किसान व उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) के माध्यम से किसानों के लिए नैनो यूरिया उपलब्ध कराया हैं. बताया गया हैं कि नैनो यूरिया, यूरिया का एक विकल्प हैं, जो पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने के लिए नैनो तकनीक का उपयोग करता हैं. इफको के अनुसार यह पारम्परिक यूरिया की तुलना में अधिक प्रभावी व कुशल माना जाता हैं व इसका उपयोग मिट्टी में यूरिया के उपयोग को कम करने में मदद करता हैं, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं.

–मिट्टी में मिलाने की जरूरत नहीं

जिले में नैनो यूरिया व डीएपी की खपत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. इफको के अनुसार रबी व खरीफ मौसम में लगभग 40 हजार बोतल नैनो यूरिया व 12 हजार बोतल नैनो डीएपी की खपत होती हैं. बताया गया हैं कि इसकी एक बोतल पांच सौ एमएल की होती है, जो एक बोरा सामान्य यूरिया के तुलना में बराबर हैं. इसे सामान्य यूरिया की तरह मिट्टी में मिलाने की जरुरत नहीं होती हैं, बल्कि पानी में इसके घोल बनाकर छिड़काव किया जाता हैं. किसान एक लीटर पानी में 30 एमएल यूरिया मिलाकर घोल का छिड़काव कर सकते हैं. इस छिड़काव के बाद पौधा 90 फीसदी नैनो यूरिया का उपयोग कर लेते हैं.

–इसकी खपत 40 हजार प्रतिवर्ष जिला में 40 हजार हो रही है.

–नैनो यूरिया से मिलने वाले लाभ

▪︎ पारंपरिक यूरिया की तुलना में अधिक प्रभावी

▪︎ नैनो यूरिया की बहुत कम मात्रा का उपयोग

▪︎ मिट्टी में यूरिया के उपयोग को कम करना

▪︎ फसल की उपज को बढ़ाने में मदद करना

▪︎ कम मात्रा में आवश्यकता व लागत प्रभावी

▪︎ पर्यावरण के अनुरूप विकल्प हैं नैनो यूरिया

–क्या कहते हैं अधिकारी

जिले में पर्याप्त मात्रा में नैनो यूरिया उपलब्ध कराया गया हैं. पारंपरिक यूरिया के तुलना में नैनो यूरिया किसानों के लिए बेहतर विकल्प हैं जो यूरिया के आवश्यकता को न्यूनतम 50 फीसदी तक कम कर सकता हैं. साथ ही यह फसल की उपज को बढ़ाने में मदद कर सकता हैं.

कुणाल कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, इफको

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