सीतामढ़ी. नगर के लोहिया आश्रम में गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 95वीं जयंती मनायी गयी. इसकी अध्यक्षता समाजवादी नेता नागेंद्र प्रसाद सिंह ने की. उपस्थित लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में श्री सिंह ने कहा कि चंद्रशेखर जीवन पर्यंत सामाजिक न्याय वंचितों के लिए समर्पित रूप से काम करते रहे. सत्ता से विद्रोह कर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही रवैया के खिलाफ आपातकाल में वे जेल गए. चंद्रशेखर का सीतामढ़ी से बड़ा लगाव था. रीगा किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने एक बड़ी सभा को संबोधित किया था. परसौनी होते हुए सीतामढ़ी तक की पदयात्रा की थी. एक बार ऐसी स्थिति बनी थी की सीतामढ़ी में दो समुदाय के बीच तनावपूर्ण स्थिति हो गई थी तो प्रशासन ने उन्हें सीमा पर जाकर सीतामढ़ी आने से मना किया था, फिर भी वह आए, और निषेधाज्ञा को तोड़कर फिर भरी सभा को संबोधित किया, जिसके चलते उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया. जिसमें चंद्रशेखर सहित एक दर्जन नेता को अभियुक्त बनाया गया, जिसमें मैं भी शामिल था. जेपी सेनानी डॉ ब्रजेश कुमार शर्मा ने कहा कि चंद्रशेखर जैसे स्पष्टवादी प्रखर वक्ता विरले ही मिलते हैं. डॉ शशि रंजन ने कहा कि चंद्रशेखर जी के संपादक तत्वों में दिल्ली से प्रकाशित यंग इंडियन साप्ताहिक पत्रिका अपने समय का एक बेहतरीन संपादकों में से एक हुआ करता था. अरुण कुमार गोप उनकी देशव्यापी चर्चित यात्रा को याद किया. प्रो अमर सिंह ने कहा कि चंद्रशेखर अपने व्यक्तित्व, विद्वता, शालिनता और ईमानदारी के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे. 74 के लोग के संयोजक डॉ रामाशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस के सिर्फ पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ चंद्रशेखर ने मुखालफत की और जब जम्हूरियत की रक्षा करने में अग्रणी भूमिका निभायी. परिचर्चा में विचार व्यक्त करने वालों में सुरेंद्र कुमार पटेल, रामश्रेष्ठ सिंह कुशवाहा, शंकर बैठा, राम प्यारे साह, अमित सहाय प्रमुख थे.
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