सीतामढ़ी. माता जानकी की जन्मभूमि पर जन्म लेना सौभाग्य की बात है. वह व्यक्ति अपने को धन्य समझे, जिनका जन्म मां सीता की धरा पर हुई है. यह पावन भूमि है. इसकी एक अलग खुशबू व पहचान है. उक्त बातें महामंडलेश्वर ने कही है. जिला मुख्यालय डुमरा स्थित अपने शिष्य सह शिक्षक नेता ज्ञान प्रकाश ज्ञानू के आवास पर ठहरे महामंडलेश्वर महंत नवल किशोर दास जी ने सोमवार को यहां से पत्रकारों से बातचीत में उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि वे पहली बार माता जानकी की धरा पर आए है. उनकी वर्षों से इच्छा थी कि जानकी की धरती पर जाए और उनकी कृपा प्राप्त करें। यह सौभाग्य उन्हें प्राप्त हो गया.
महामंडलेश्वर ने कहा कि माता सीता भगवती की रूप है. उनकी कृपा के बगैर भगवत की प्राप्ति संभव नहीं है. माता सीता की कृपा से ही रामत्व की प्राप्ति हुई थी. उनके जीवन का लक्ष्य है भगवत प्राप्ति. उनके लिए सीता ही माता और भगवान राम पिता है. इसी भाव को दिल में संजोकर वे हरिद्वार से जानकी की जन्मभूमि पर पहुंचे है. उन्होंने सुना था कि मिथिला क्षेत्र में आतिथ्य का सत्कार अद्भुत होता है. उन्हें भी वह सत्कार प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अयोध्या की तरह सीतामढ़ी में माता जानकी का भव्य मंदिर बनेगा.
— स्थानीय लोगों को भी मिलेगा लाभ
कहा कि भव्य मंदिर बन जाने के बाद देश के विभिन्न कोने से आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी. तब स्वाभाविक रूप से स्थानीय कारोबारियों को लाभ मिलेगा. महामंडलेश्वर ने मां सीता के बारे में संक्षिप्त में अद्भुत बातों की जानकारी दी. कहा, एक मात्र उदाहरण है कि जिस धरा से माता जानकी का प्राकट्य हुआ, पुनः उसी धरा की गोद में हमेशा के लिए चली भी गई थी. मौके पर महामंडलेश्वर के परम शिष्य सह उत्तराधिकारी महंत राम लखन दास, शिक्षक नेता दिलीप कुमार शाही, आरएसएस के दिल्ली के वरीय कार्यकर्ता रणधीर शाही, आग्नेय कुमार व आदित्य कुमार भी मौजूद थे. गौरतलब है कि महंत नवल किशोर दास दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता भी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

