मंगलवार को नहाय-खाय, बुधवार को मनाया जायेगा खरना
गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य
को दिया जायेगा पहला अर्घ
शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ होगा चैती छठ का समापन
सीतामढ़ी : सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है. हालांकि, कार्तिक मास में होने वाले छठ महापर्व की तरह चैती छठ पूजा के दौरान नदियों व पोखरों में छठ व्रतियों की भीड़ नहीं उमड़ती है.
यानी चैती छठ करने वाले व्रतियों की संख्या कम होती है, लेकिन आस्था वही रहता है. मनोकामनाएं पूरी होने पर महिलाएं व कई पुरुष व्रती भी तीन दिनों तक निर्जला व्रत रखकर छठ मईया व भगवान भास्कर की उपासना करते हैं. कोई संतान प्राप्ति तो कोई स्वस्थ्य काया तो कोई अन्य मनोकामनाएं मन में रखकर भगवान भास्कर व उनकी बहन मानी जानेवाली छठी मईया की पूरे भक्ति-भाव के साथ उपासना करती हैं. यह पारंपरिक महापर्व सदियों से मनाया जाता है. यह इकलौता पर्व है, जिसमें न पंडित-पुरोहितों का वेद मंत्र होता है और न ही ऊंच-नीच आदि का भेदभाव देखने को मिलता है.
अमीर-गरीब हर कोई एक साथ नदियों व तालाबों पर बने घाटों पर बड़ी ही उत्सुकता व आस्था के साथ छठ पूजा करते हैं. मंगलवार को छठ व्रती महिलाएं व पुरुष निर्मल मन से तन-मन को शुद्ध कर विशेष प्रकार का भोजन ग्रहण करेंगे और छठ व्रत का शुभारंभ करेंगे. अगले दिन यानी बुधवार को खरना है. यानी बुधवार को छठ व्रती गम्हरी के चावल, गुड़ से बने खीर व अन्य मीठे पकवान बनाकर छठी मइया व भगवान भास्कर को आमंत्रित करेंगे. सगे-संबंधियों के साथ छठी मइया व भगवान भास्कर से पूरे परिवार के स्वस्थ्य काया व कल्याण के लिए आशीष मांगेंगे. प्रसाद वितरण किया जाएगा.
वहीं, तीसरे दिन गुरुवार को छठ व्रती घर की अन्य महिलाओं की मदद से सुबह से दोपहर तक छठी मइया व भगवान भास्कर को अर्घ देने के लिए एक से बढ़कर एक मीठे पकवान बनाएंगे. दोपहर बाद छठ घाट पर जाएंगे और अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ देंगे. जबकि, शुक्रवार की सुबह छठ व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ ही पारण करेंगे, जिसके बाद चार दिवसीय चैती छठ महापर्व का समापन होगा.