सीतामढ़ी : एनएच पर लूट व हत्या की घटना को अंजाम देने में संलिप्त मो गुफरान व मो तसलीम की मौत की घटना को लेकर शहर व गांव के चौक-चौराहों पर तरह-तरह के चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. दोनों अपराधियों की एक साथ मौत हो जाने की घटना को लेकर अधिकांश लोग पुलिसिया बर्बरता मान रहे है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पूरी तरह खुलासा नही होने के बाद भी दोनों अपराधियों के शरीर पर चोट के निशान के जिक्र की बात जानने के बाद तो लोग यह पूरी तरह मान कर चल रहे है कि पुलिस के थर्ड डिग्री से दोनों की मौत हुई है. कुल मिलाकर शुक्रवार को आमलोगों व पुलिस वालों के चेहरे व प्रतिक्रिया को देख कर यह कहना मुश्किल हो रहा था कि दोनों अपराधियों की मौत से खाकी का खौफ है या खौफ में खाकी है.
पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी
घटना के बाद से जिला पुलिस के वरीय अधिकारियों ने भी मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली है. किसी भी उलझे सवाल का जवाब देने से जिला पुलिस किनारा कर रही है.
पुलिस सूत्रों पर भरोसा करें तो सूचना मिलने पर निलंबित थानाध्यक्ष चंद्रभूषण कुमार सिंह समेत अन्य पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेने के लिए एसपी डी अमरकेश, सदर डीएसपी डॉ कुमार वीर धीरेंद्र, हेड क्वार्टर डीएसपी पीएन साहू व पुपरी एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय समेत अन्य अधिकारी रून्नीसैदपुर इलाके में खाक छानते रहे. डुमरा थाना के नव पदस्थापित थानाध्यक्ष निलेश कुमार आजाद जांच के बाद निलंबित अधिकारी व कांस्टेबल की गिरफ्तारी की बात कह रहे है.
अगर यह सच है तो सवाल यह उठता है कि निलंबित थानाध्यक्ष चंद्रभूषण कुमार सिंह व दोनों अपराधी के 6 से 7 मार्च तक पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान ओडी इंचार्ज रहे क्रमश: परशुराम प्रसाद गुप्ता, अरूण सिंह व सोनी कुमारी व चारों कांस्टेबलों ने आरक्षी केंद्र में अपना योगदान क्यों नहीं दिये ? थानाध्यक्ष श्री सिंह ने आरक्षी केंद्र में अपना सर्विस रिवाल्वर क्यों नहीं जमा किया? अगर उनके खिलाफ मुख्यालय से गिरफ्तारी का आदेश नहीं है तो निलंबन के बाद सभी का व्यक्तिगत मोबाइल ऑफ और वे भूमिगत क्यों है ? ऐसे कई सवाल है, जिसका जवाब देने से पुलिस इनकार कर रही है.