राजद का महागठबंधन में सबसे मजबूत दावा
पटना : सीतामढ़ी लोकसभा की सीट पर इस बार जदयू और राजद का सीधा मुकाबला होता दिख रहा है. एनडीए के भीतर यह सीट जदयू के खाते में जाने की चर्चा है. वहीं, महागठबंधन में सबसे मजबूत दावा राजद का दिख रहा है.
हालांकि, कयास भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय के भी यहां से चुनाव लड़ने के लगाये जा रहे हैं. पर, भाजपा ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया है. दूसरी ओर, एनडीए छोड़ चुके उपेंद्र कुशवाहा की कितनी दाल गलेगी, वह खुद भी नहीं जानते हैं. राजद पहले से ही इस सीट पर अपना दावा जता रहा है. इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. जदयू अब एनडीए के साथ है. जबकि, उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में आ चुके हैं. यहां के मौजूदा सांसद रामकुमार शर्मा हैं, जो उपेंद्र कुशवाहा के साथ हैं. पर, राजनीतिक हलकों मेें इस बात की चर्चा है कि चुनावी मौसम में उनके अंतिम समय तक उपेंद्र कुशवाहा का साथ देने का दावा नहीं किया जा सकता.
दावेदारों की नहीं है कमी : राजनीतिक जानकारों की मानें तो जदयू उम्मीदवार के रूप में पूर्व सांसद डॉ नवल किशोर राय की पत्नी रामदुलारी देवी, निर्दलीय विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर व बाजपट्टी से जदयू विधायक डॉ रंजू गीता के नाम की चर्चा है. वहीं, महागठबंधन से राजद के पूर्व सांसद सीताराम यादव व तपस्वी नारायण दासजी महाराज के प्रमुख शिष्य शुकदेव दास जी महाराज के नाम की भी चर्चा है. राजद के युवा नेताओं की टोली विधान पार्षद दिलीप राय को सांसद प्रत्याशी बनाना चाहती है. महागठबंधन के भीतर लोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव अपने शिष्य जदयू के पूर्व सांसद डॉ अर्जुन राय के लिए सीतामढ़ी लोकसभा सीट की मांग कर रहे हैं. अगर, यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती है, तो कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विमल शुक्ला उम्मीदवार हो सकते हैं. इधर, भूमिहार जाति से आने वाले विश्व मानव जागरण मंच के संस्थापक माधव चौधरी के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने की चर्चा है.
1952 में आचार्य जेबी कृपलानी यहां से हुए थे विजयी
1952 के आम चुनाव में आचार्य जेबी कृपलानी यहां से विजयी हुए थे. 1962 के आम चुनाव में यहां से नागेंद्र प्रसाद यादव चुनाव जीते थे. इसके बाद अस्सी के दशक तक कांग्रेस का ही यहां दबदबा रहा. 1977 और 2014 को छोड़ अब तक यादव समाज के उम्मीदवार ही यहां से विजयी होते आये हैं. 1962, 1967, 1971 में नागेंद्र प्रसाद यादव, 1977 में श्याम सुंदर दास, 1980 में बलराम भगत, 1984 में रामश्रेष्ठ खिरहर, 1989 में हुकुमदेव नारायण यादव, 1991, 1996 और 1999 में नवल किशोर राय, 1998 और 2004 में राजद के सीताराम यादव यहां से सांसद बने. 2009 में जदयू ने अर्जुन राय को उम्मीदवार बनाया और उन्हें जीत हासिल हुई. सीतामढ़ी नेपाल से सटा और बाढ़ग्रस्त इलाका है. लेकिन, चुनाव के समय स्थानीय मुद्दे गौण हो जाते हैं और सामाजिक समीकरण ही हावी होती रही है. इस बार एनडीए में जदयू के आने से उसकी ताकत बढ़ी है. यादव और अल्पसंख्यक मतों की गोलबंदी हार-जीत का फैसला बदल सकती है. वहीं, अतिपिछड़ी जातियां भी एक ताकत के तौर पर स्थापित हैं.
इनपुट : अमिताभ, सीतामढ़ी
