23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार की स्थिति पर आयोग को ठहराया दोषी

सीतामढ़ी : केंद्रीय नीति आयोग के सीइओ अमिताभ कांत के बयान का जिले में जमकर आलोचना होने लगी है. लोगों ने इसे बिहार का उपहास के साथ ही अपनी कमजोरी छुपाना बता रहे है. महिलाओं ने पिछड़े होने का ठिकरा विभिन्न आयोग पर केंद्र सरकार पर फोड़ी है. उनका कहना है कि आजादी के बाद […]

सीतामढ़ी : केंद्रीय नीति आयोग के सीइओ अमिताभ कांत के बयान का जिले में जमकर आलोचना होने लगी है. लोगों ने इसे बिहार का उपहास के साथ ही अपनी कमजोरी छुपाना बता रहे है.

महिलाओं ने पिछड़े होने का ठिकरा विभिन्न आयोग पर केंद्र सरकार पर फोड़ी है. उनका कहना है कि आजादी के बाद से बिहार पिछड़ता गया. इसके लिए केंद्र की उदासीनता और बिहार के प्रति सौतेलापन व्यवहार ही माना जायेगा. बिहार की स्थित सभी क्षेत्रों में मानक से नीचे है. बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. इसकी मूल आर्थिक स्थिति कृषि पर आश्रित है. लेकिन यहां शासन व प्रशासन के साथ ही प्रकृति विपरित होने से स्थिति बद से बदत्तर होती रही है.
बिहार में उद्योग, शिक्षा, व्यवसाय, कुटीर उद्याेग कभी सूखा तो कभी बाढ़ की विभिषका के साथ ही ओलावृष्टि भी सदैव प्रगति के पथ पर अवरोध पैदा करती रही है. बिहार की स्थिति एवं इसकी विकास में केंद्र के असहयोग के कारण मानक के अनुरूप बिहार स्थापित होने में पिछड़ गया है. प्रभात खबर ने इस संबंध में महिलाओं की राय जाना.
विकास दर में सबसे आगे, बावजूद हम पीछे: दीपशिखा, प्राचार्या. जो बयान निति आयोग के सीइओ दे रहे है. उसको पूछने का हक हमारा है. उनके बयान में सार्थकता तो है ही, लेकिन पिछले तीन साल से नीति आयोग देश के विकास के लिए नीति बना रहा है, जब उन्हें पता है कि ये क्षेत्र गरीब है तो उन्हें इसे बदलने के लिए बेहतर नीतियां बनानी चाहिए. विकास दर में सबसे आगे रहने के बावजूद हम पीछे है. केवल जरूरत सकारात्मक सहयोग की है.
आयोग का रूख सकारात्मक नहीं
रेखा गुप्ता, रालोसपा नेत्री. आजादी के बाद से ही बिहार के प्रति विभिन्न आयोग का रूख सकारात्मक नहीं रहने के कारण बिहार नीचले पायदान पर है. यहां कि शिक्षा, उद्योग व कृषि को सदैव नकारा बनाया गया है. यहां के कामगार अन्य प्रदेशों को सजा रहे हैं. जबकि की विकास पर आयोग द्वारा ध्यान नहीं दिया जाना ही वर्तमान का अहम मुद्दा है.
प्राकृतिक प्रकोप भी प्रगति में बाधक
मधु प्रिया, अध्यक्ष, सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक. उपहास ही सही लेकिन सीइओ के बयान में सच्चाई है. लेकिन इसके लिए दोषी कौन है और इसमें सुधार कैसे हो विचार करना समय की मांग बन गयी है. बिहार प्रकृति प्रकोप से भी त्रस्त रहता है. बिहार में कृषि पर आश्रित उद्योग की स्थापना के साथ ही वर्तमान में शिक्षा को बेहतर बनाने में नीति आयोग को अहम पहल करने की जरूरत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें