राशि भुगतान नहीं होने से जब्त नावों से भाड़ा कमा रहे नाविक
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स्वास्थ्य विभाग को भी नहीं उपलब्ध करायी जा रही नाव
राशि भुगतान नहीं होने से जब्त नावों से भाड़ा कमा रहे नाविक नाव की व्यवस्था होती तो बच सकती थी जान नाव पर अंचल प्रशासन का नियंत्रण नहीं रहने से पानी से घिरे ग्रामीणों को नहीं मिल रही सुविधा शेखपुरा : मंगलवार को दो घटनाओं में डूबने से तीन की मौत ने घाटकुसुम्भा में पानी […]
नाव की व्यवस्था होती तो बच सकती थी जान
नाव पर अंचल प्रशासन का नियंत्रण नहीं रहने से पानी से घिरे ग्रामीणों को नहीं मिल रही सुविधा
शेखपुरा : मंगलवार को दो घटनाओं में डूबने से तीन की मौत ने घाटकुसुम्भा में पानी से घिरे गांव में राहत कार्य और सुविधा की सारे प्रशासनिक दावों का सच एक बार फिर सामने आ गया है.यहां पानी से घिरे गांव में आवागमन बहाल करने के लिए 35 नाव,मोटर बोट,एवं गोताखोर की व्यवस्था वहाल करने का दावा किया जा रहा है. लेकिन प्रखंड के स्थानों पर डूबने से हुई मौत ने सारी व्यवस्था की पोल खोल दी है
.यहां हादसे के दौरान ग्रामीण नाव के लिए तड़पते रहे लेकिन जान बचाने के लिए सुरक्षा कर्मी तो दूर की बात यहां नाव की भी व्यवस्था नहीं हो सकी.जीवन और मौत से जूझते दो लोगो की मौत से उनकी जिंदगियां तवाह हो गयी . इस घटना के बाद प्रखंड के लगभग एक दर्जन गांवों के लिए क्या है नावों की सुविधा इस पर एक नजर डालते हैं.
घाटकुसुम्भा में हरोहर और टाटी नदी के कहर से लगभग एक दर्जन गाँव पानी से घिरा है.आवादी के बीच आवागमन की समस्या गंभीर है.पीड़ितों को राहत देने के लिए कागजों पर की गयी तैयारी हकीकत से परे है.अंचल प्रशासन के मुताबिक प्रखंड के लिए सभी 35 नाव को जप्त कर लिए गए .इन्हें विभिन्न गाँव में संचालन के लिए आवंटित कर दिया गया.एग्रीमेंट के आधार पर नाव के संचालन में ठोस प्रशासनिक मापदंड नहीं तय किया जा सका .नाविकों की माने तो लगभग बीस दिन पहले नाव को जप्त किया गया .आज तक ना तो मजदूरी तय की गयी और ना ही नाव का किराया तय हुआ .
एक नाविक ने नाम नहीं छपने के शर्त पर बताया कि पिछले साल इसी तरह हुआ .अंतिम समय में जब बुगतान हुआ तब दस्तखत की गयी राशि से कम भुगतान किया गया .बाढ़ की त्रासदी से खुद पीड़ित नाविकों समक्ष भी रोजी रोटी का एक मात्र जरिया है. ऐसे में अगर बाढ़ के दौरान भाडा नहीं कमाए तो पुरा परिवार भूख मरेगा .इसके साथ ही कई गावों को आवंटित नावों का इस्तेमाल राजनैतिक पहुँच रखने वाले स्थानीय लोग अपनी मर्जी के मुताबिक़ कर रहे है. ऐसे में कोइ अनहोनी अथवा हादसे के दौरान लोग अपनी जान गंवा रहे है.
स्वास्थ्य विभाग को नाव नहीं.
इस आपदा की घडी में घाटकुसुम्भा पीएचसी में डॉक्टर और कर्मी की तैनाती तो की गयी है.लेकिन लोग क्षेत्र दौरा के वजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे है.यहाँ भी नाव की समुचित व्यवस्था नहीं होने से स्वाथ्य व्यवस्था वहाल रखने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि अंचल प्रशासन ने पीएचसी में एक नाव की व्यवस्था होने का दावा किया है.
लेकिन वास्तविक स्थितियों को वयां कर रहे पीएचसी प्रभारी रामजी तांती ने कहा कि छोटी सी बिना मोटर का नाव उपलब्ध कराया गया है.जिसमे तीन लोग से ज्यादा नहीं बैठ सकते .ऐसे में डॉक्टर और कर्मी सुरक्षित यात्रा की कमी महशुस करते हुए क्षेत्र में जाने से इनकार कर कर रहे है.मैन पावर की कमी के कारण भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
क्या कहते है अधिकारी
घाटकुसुम्भा में पीएचसी के लिए नाव की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगो को स्वास्थ्य लाभ देने में परेशानी हो रही है.अंचल के असहयोग की स्थिति से जिलाधिकारी को भी अवगत कराया जा रहा है. इसके साथ ही पानी से घिरे गांवों की स्थिति पर आशा कर्मियों की मदद से पैनी नजर राखी जा रही है.
डॉ मृगेंद्र प्रसाद सिंह, सिविल सर्जन शेखपुरा
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