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आबुधाबी में फंसे 24 भारतीयों में से एक की हुई मौत

शेखपुरा : मुंबई के लिबरा इंटरनेशनल सर्विसेज कंपनी के जरिये अरब देश आबूधाबी में रोजगार के लिए जानेवाले बिहार, यूपी और झारखंड के 24 मजदूरों को बंधक बनाये जाने का मामला सामने आया है. इन मजदूरों में शेखपुरा जिले के हंसापुर गांव निवासी गणेश केवट का 28 वर्षीय पुत्र रविंद्र केवट की मौत होने की […]

शेखपुरा : मुंबई के लिबरा इंटरनेशनल सर्विसेज कंपनी के जरिये अरब देश आबूधाबी में रोजगार के लिए जानेवाले बिहार, यूपी और झारखंड के 24 मजदूरों को बंधक बनाये जाने का मामला सामने आया है. इन मजदूरों में शेखपुरा जिले के हंसापुर गांव निवासी गणेश केवट का 28 वर्षीय पुत्र रविंद्र केवट की मौत होने की घटना में आबूधाबी की एक कंपनी की भूमिका भी संदिग्ध बतायी जा रही है.
मृतक का शव बुधवार को 20 दिन बाद हंसापुर स्थित पैतृक गांव पहुंचा. मौके पर मृतक पिता ने बताया कि 21 जुलाई को 24 बेरोजगारों के समूह में उनका पुत्र भी रवाना हुआ था. इसके बाद आबुधाबी में उसे सभी साथियों का पासपोर्ट स्थानीय कंपनी ने जब्त कर लिया. इसी बीच दो दिन काम करने के बाद ही रवींद्र के पेट में दर्द के साथ शरीर पीला पड़ने लगा. बीमार रवींद्र की हालत जब गंभीर होने लगी तब भी वहां कंपनी के लोगों ने इलाज में दिलचस्पी नहीं दिखायी. आखिरकार सभी साथियों ने चंदा एकत्रित कर इलाज कराना चाहा और काम पर जाने से बहिष्कार कर दिया.
तब जाकर कंपनी ने उसे स्थानीय अस्पताल में भरती कराया. इस पूरी घटना में अपने साथियों के हित के लिए संघर्ष कर रहे झारखंड हजारीबाग के निवासी आसिफ अली खान ने दूरभाष पर बताया कि बीमार रवींद्र भी स्थानीय पहचान पत्र नहीं होने के कारण अस्पताल में भरती नहीं कराया जा सका. इसके बाद कंपनी के लोगों ने फर्जी पहचान पत्र पर उसे अस्पताल में भरती कराया, जहां रविंद्र ने 28 जुलाई को दम तोड़ दिया. इस घटना में वहां स्थानीय पुलिस ने कानूनी पेंच खड़ा कर दिया. मौके पर लोजपा नेता पवन कुमार, राजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि इस मामले की जानकारी जब मिली तब स्थानीय सांसद की मदद लेकर शव को 20 वं दिन वापस लाया गया.
आबुधाबी में फंसे झारखंड के आसिफ अली खान ने बताया कि इस दौरान विरोध जताने के बाद उन्हें गद्दार बता कर काम से अलग रखा गया है, जबकि अन्य लोगों से जबरन काम लिया जा रहा है. इसी समूह में बिहार के मुजफ्फरपुर चंदौली गांव निवासी दीपक कुमार कंपनी के ड्यूटी के दौरान सिर में गंभीर चोट की वजह से बीमार है. चोट के कारण मुंह से ब्लड भी आ गया. कोई देखनेवाला नहीं है. कंपनी में सहायक टेक्निशियन की नौकरी का प्रलोभन देकर यहां मजदूर का काम लिया जा रहा है. सभी सदस्य वापस भारत लौटना चाह रहे हैं. लेकिन कई तरह का प्रलोभन देने वाले अब अपने फोन में हमलोग का नंबर ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है. यहां से वापस लौटने में कोई मदद नहीं मिल रही है.
बुधवार को गांव में शव पहुंचते ही ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. मौके पर बीडीओ मनोज कुमार एवं करंडे थानाध्यक्ष के अलावे जिला पर्षद सदस्य अजय कुमार भी मौके पर पीड़ित परिजनों को ढाढ़स बंधाया. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी ने प्राकृतिक मृत्यु की बात कही. लेकिन जब अंतिम संस्कार के लिए शव निकाला गया तब शरीर कर पोस्टमार्टम के लिए कहीं चीर-फाड़ तक नहीं पाया गया. इधर डीएम दिनेश कुमार ने कहा कि घटनाक्रम से जुड़ी जो भी जानकारी अथवा दस्तावेज है, उसे लेकर अगर परिजन जिला प्रशासन के संज्ञान में देते हैं, तो प्रावधान के अनुसार लाभ अथवा मजदूरों की वापसी के लिए सरकार को पत्राचार के साथ सभी जरूरी कदम उठाये जायेंगे.

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