शेखपुरा : महात्मा गां धी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा का लाभ जिले में आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण रोजी-रोटी के लिए यहां से लोगों का पलायन लगातार जारी है. लोकसभा चुनाव के कारण जारी आदर्श आचार संहिता को भी इसकी धीमी गति का कारण बताया जा रहा है.
सरकारी आंकड़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में जिले में कुल एक लाख 37 हजार छह सौ 77 मानव श्रम दिवस सृजन करने का लक्ष्य रख कर इतने लोगों को सीधे रोजगार दिये जाने का लक्ष्य रखा गया था, परंतु उसमें से मात्र 35 हजार एक सौ 42 श्रम दिवस का कार्य संपादित हो सका. य
ह कुल सृजित मानव दिवस का केवल 30 प्रतिशत है. अंडको के इस कमी को लेकर जहां आम लोगो में आक्रोश है. मनरेगा के तहत कार्य नहीं होने को लेकर अधिकारियों की कार्यशैली को आरोपित कर रहे हैं, जबकि अाधिकारिक सूत्र इस संबंध में लोगों के मनरेगा के तहत कार्य मांगने में अरुचि का आरोप लगाते है.
अाधिकारिक सूत्र अपने दावे की पुष्टि में तर्क प्रस्तुत करते हुए बताया कि जिले में हालांकि एक लाख 11 हजार सात सौ पचासी जॉब कार्डधारी हैं, जिसमें से मात्र 13 हजार छह सौ 27 ही काम को लेकर सक्रिय हैं.
इन क्रियाशील जॉबकार्डधारी में से सभी का बैंक खाता और जॉब कार्ड आधार से जुटा नहीं है. मनरेगा के तहत काम और फिर मजदूरी का भुगतान आधार से जुड़े खाते में ही किया जाना है. जिले में 33 हजार तीन सौ 66 जॉब कार्ड आधार से जुड़े हैं परंतु उसमें से भी केवल 14 हजार आठ सौ 94 जॉबकार्डधारी को मजदूरी भुगतान किया गया है.
