शेखपुरा : शहर से कचरा एकत्रित कर जैविक खाद बनाने का दावा करने वाले नगर पर्षद की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. यहां शहर की सफाई के बाद कचरा प्रबंधन के नाम पर भी गड़बड़ियों को अंजाम दिया जा रहा है.
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पइन में फेंके जा रहे कचरे, परेशानी
शेखपुरा : शहर से कचरा एकत्रित कर जैविक खाद बनाने का दावा करने वाले नगर पर्षद की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. यहां शहर की सफाई के बाद कचरा प्रबंधन के नाम पर भी गड़बड़ियों को अंजाम दिया जा रहा है. दरअसल शहर के विभिन्न टोलों और मोहल्लों से एकत्रित होने वाले कचरे को […]
दरअसल शहर के विभिन्न टोलों और मोहल्लों से एकत्रित होने वाले कचरे को नगर पर्षद के द्वारा बनाये गये डंपिंग यार्ड में एकत्रित करना है. डंपिंग यार्ड में एकत्रित कचरे का प्रबंधन किया जाना है. कचरा प्रबंधन की इस व्यवस्था में नगर प्रशासन जैविक उर्वरक बनाने की तैयारी कर रहा है.
लेकिन, इस पूरी व्यवस्था को ट्रैक्टर चालकों के द्वारा मामूली कमाई के लिए ध्वस्त किया जा रहा है. दरअसल नगर पर्षद कार्यालय से डंपिंग यार्ड की दूरी बाइपास रोड के जरिये लगभग आठ किलोमीटर है, लेकिन उक्त दूरी को तय कर डंपिंग यार्ड में कचरा फेंकने का काम कागजों पर ही किया जा रहा है.
दरअसल ट्रैक्टर चालक लॉग बुक में डंपिंग यार्ड में कचरा फेंकने की सूचना अंकित करते हैं. लेकिन, सच्चाई में वह कचरा बाइपास तीनमुहानी से बरबीघा को जाने वाली सड़क के किनारे पइन में फेंक देते हैं. इतना ही नहीं, उक्त कचरे को फेंकने के कारनामे पर पर्दा डालने के लिए उन कर्मियों के द्वारा कचरे में आग लगा दी जा रही है.
जलस्रोत का अस्तित्व हो रहा समाप्त
चाहे किसी भी परिस्थिति में नगर पर्षद के द्वारा बाइपास के किनारे पइन में कचरा फेंकने का काम किया जा रहा हो, लेकिन इसका प्रभाव आम लोगों के साथ प्राकृतिक जलस्रोत पर भी पड़ रहा है. दरअसल शहर की घनी आबादी से निकलने वाले नाले के पानी उक्त पइन के जरिये रतोईया नदी में पहुंचता है.
लेकिन, पइन भर दिये जाने के कारण जहां प्राकृतिक जलस्रोतों का अस्तित्व मिट रहा है. वहीं, बाइपास में सुबह टहलने वाले लोगों को स्वच्छ हवा की जगह पर बदबू और संक्रमण का सामना करना पड़ रहा है. लंबे समय से नगर प्रशासन और कचरा ढोने वाले ट्रैक्टर चालकों के बीच चल रहे खेल में बाइपास के बड़े हिस्से का पइन भर चुका है.
जमीन मालिकों से मिलीभगत
नगर पर्षद के द्वारा कचरा प्रबंधन के नाम पर जमीन की भराई भी की जाती है. दरअसल कचरा फेंकने वाला ट्रैक्टर चालक और जमीन मालिक की मिलीभगत से इस कारनामे को अंजाम दिया जा रहा है. जमीन अथवा उसके आगे पइन को भरने के लिए जमीन मालिक सफाई कार्य में जुटे ट्रैक्टर चालकों से सांठगांठ करते हैं और चंद रुपयों के लालच में डंपिंग यार्ड की जगह पर कचरा जहां-तहां फेंक दिया जाता है.
कचरे के ढेर में आग लगा रहे कर्मी
नगर पर्षद में सफाई कार्य में जुटे ट्रैक्टर चालक सड़क किनारे कचरा फेंकने के बाद उसमें आग भी लगा देते हैं. कचरे के ढेर में आग लगाने से कई दिनों तक धुआं निकलता रहता है, जिससे आसपास निवास करने अथवा वहां से गुजरने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
नगर पर्षद के द्वारा डंपिंग यार्ड में कचरा फेंकने की कार्रवाई की जाती है. इस व्यवस्था में अगर कोई गड़बड़ी है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी.
दिनेश दयाल लाल, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत शेखपुरा
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