शेखपुरा: बिहारमें शेखपुरा जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को भोजन के रूप में मध्यान भोजन के जिस चावल का इस्तेमाल हो रहा है उसकी गुणवत्ता एक बड़े घपले की भेंट चढ़ रहा है. दरअसल, इस बड़े घपले का उजागर जिले भर के कई विद्यालयों के शिक्षकों ने सार्वजनिक रूप से किया है. इस बड़े मामले में शिक्षकों का शिष्टमंडल जिलाधिकारी से भी मिल कर व्यवस्था में सुधार लाने के लिए पहल करने का मुद्दा उठाया है.
पिछले कई सालों से खाद्यान्न माफियाओं के द्वारा इस बड़े खेल को दिए जा रहे हैं अंजाम में प्रतिमाह लाखों रुपये के घपले कोमामलाप्रकाश में आया है. इसका खामियाजा जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि विद्यालयों में जो घटिया गुणवत्ता का चावल आवंटित कराया जा रहा है. उसमें या तो उसी वक्त कीड़ा लगा होता है क्या कुछ ही दिनों में घटिया गुणवत्ता के चावलों में कीड़ा लग जाता है. दुर्भाग्यपूर्ण बात किया है कि जिले में खाद्यान्न माफियाओं के बड़े रैकेट जहां मध्यान भोजन योजना को दीमक की तरह खोखला कर रहा है. वह घटिया गुणवत्ता का चावल स्कूली बच्चों के सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
हालांकि, इस मामले में विभागीय अधिकारियों की मानें तो यहां पर घटिया गुणवत्ता पूर्ण चावल आपूर्ति को लेकर कई बार एफसीआइ एवं मुख्यालय से पत्राचार किया गया है. लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस पहल कदमी नहीं हो सकी. ऐसी परिस्थिति में विद्यालय के छात्र-छात्राओं को घटिया गुणवत्ता एवं कीड़ों से दूषित चावल खिलाने की अवस्था बनी है.
आंदोलन का भी नहीं दिख सका असर
जिले में मध्यान भोजन योजना की स्थितियों पर अगर नजर डालें तो यहां सभी 501 विद्यालय है. जिसमें 477 विद्यालयों में मध्यान भोजन का संचालन किया जा रहा है. सरकारी विद्यालयों में जिले भर के सभी नामांकित छात्र एक लाख 33हजार 776 हैं. जिसमें प्राइमरी स्कूलों के 95990 एवं मिडिल स्कूलों के 45364 छात्र-छात्राओं के लिए मध्यान भोजन का संचालन किया जा रहा है. जिले में लंबे समय से घटिया गुणवत्ता की चावल परोस कर बड़े घपले को अंजाम दे रहे हैं.खाद्यान्न माफिया के विरोध इसी वर्ष अप्रैल महीने में सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों ने मध्यान्ह भोजन ठप कर इस योजना में खाद्यान्न आपूर्ति को लेकर हो रहे लूट का जमकर विरोध किया था.
शिक्षकों का आंदोलन लगभग एक माह तक जारी रहा. लेकिन, इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होरहाहै. इस बाबत बिहार राज्य अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विजय कुमार एवं उत्क्रमित मध्य विद्यालय भोजडीह के प्रधानाध्यापक अशोक प्रसाद ने बताया कि मध्यान भोजन संचालन के लिए बिहार सरकार प्रति किलो चावल आपूर्ति की कीमत 32.58 रुपये कि दर से भुगतान कर रही है. लेकिन, विद्यालयों में जो चावल आपूर्ति किया जा रहा है वह मुश्किल से 14 से 16 रुपये प्रति किलो का ही होता है.
एमडीएम चावल आपूर्ति में क्या है गड़बड़ी
दरअसल, जिले में मध्यान भोजन योजना का संचालन के लिए विद्यालयों को आवंटित किए गए चावल के आंकड़े पर नजर डालें तो अप्रैल से जून 2017 तक 3220.40 क्विंटल चावल की आपूर्ति की गयी है. अगर इस आंकड़े का आकलन किया जाए तो सरकार द्वारा निर्धारित दर 32.58 रुपये से कम कीमतों के घटिया चावला की आपूर्ति की जा रही है. इस परिस्थिति में यहां प्रतिमाह लाखो रुपये के घपले को अंजाम दिया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में मध्यान भोजन योजनाओं के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों और गुणवत्ता के चावल आपूर्ति नहीं कराए जाने की शिकायतों की जांच कराई जाएगी. इस मामले में जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी. जिले में मध्यान भोजन योजना में किसी स्तर पर गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. (सिद्धार्थ कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, शेखपुरा)