शिवहर : शहर का शक्तिपीठ कहा जाने वाले विंध्याचल देवी मां का मंदिर 107 साल पुराना है. कहा जाता है कि शिवहर राज घराने के कैंपस में विद्वान पंडितों के द्वारा तांत्रिक विधि विधान से स्थापित किया गया है.
जहां वर्षों से इस मंदिर में देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जा रही है. नवरात्र के अवसर पर मंदिर में पूजन करने के लिए पहुंचे नगर पंचायत अध्यक्ष अंशुमान नंदन सिंह ने बताया कि यह विंध्याचल देवी मां की मंदिर पूरे जिला में आस्था का केंद्र माना जाता है. दशहारे में न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि दर्शनीय स्थल भी माना जाता है. इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं. उनका सारा कष्ट माता रानी दूर करती है. इधर मंदिर में दुर्गा सप्तशती की पाठ एवं वैदिक मंत्रों उच्चारण के बीच मां दुर्गा की पांचवें स्वरुप देवी स्कंदमाता की पूजा अर्चना किया गया.
वहीं राजलक्ष्मी ग्रुप के निदेशक देवव्रत नंदन सिंह उर्फ सोनू बाबू ने बताया कि वर्ष 1912 में बेतिया राज से आने के बाद उनके पूर्वज राज घराने के द्वारा तंत्र पद्धति से मंदिर का निर्माण किया गया. तब से लेकर आज तक विधि विधान से माता की पूजा की जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 1965 से दुर्गा बाजार सब्जी मंडी में राज दरबार द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती रही है. उसके बाद वर्ष 2005 से ही सब्जी मंडी के व्यवसायियों द्वारा दुकानदार संघ पूजा समिति के सहयोग से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना किया जा रहा है.
शुक्रवार चार अक्तूबर को शारदीय नवरात्र के षष्ठी तिथि के अनुसार मां दुर्गा के छठें स्वरुप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जायेगी. इस दौरान बेल निमंत्रण का कार्य भी होगा. जिसकी तैयारी की जा रही है. इधर गुरुवार को जिले के विभिन्न पूजा-पंडालों में हर तरफ ध्वनि विस्तारक यंत्र से (आ मां आ तुझे दिल ने पुकारा) के गीतों से पूरा वातावरण गुंजता रहा. इस दौरान शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न पूजा पंडालों में बेल नौतन पूजन की तैयारी की जा रही है.
हर तरफ विभिन्न पूजा समितियों के द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी.पूजन को लेकर पूरे क्षेत्र दुर्गा मां के गीतों से वातावरण भक्तिमय रहा. हालांकि गुरुवार को नवरात्र के पांचवें दिन श्रद्धालुओं ने मां भगवती की पंचम स्वरूप स्कंदमाता की उपासना कर पूजा-अर्चना किया. कहा जाता है कि देवी मां दुर्गा के इस स्वरूप की आराधना व पूजन करने से हर व्यक्ति की संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होती हैं. साथ ही मोक्ष का मार्ग भी सुगम्य हो जाता है.
