अकोढ़ीगोला. सात दिसंबर को प्रभात खबर ने ””बिना जांच कराये बांट दिया गया गेहूं का बीज, किसानों को भारी आर्थिक क्षति”” शीर्षक से खबर को प्रमुखता से छापा था. कृषि विभाग ने इसको संज्ञान में लिया. गुरुवार को अधिकारियों व वैज्ञानिक की एक टीम दरिहट व भुसहुला पहुंचकर दर्जनों किसानों के खेतों का निरीक्षण किया. वैज्ञानिक ने खेतों के अंदर से गेहूं बीज निकाला, उसे देखा. निरीक्षण के दौरान अनुमंडल कृषि पदाधिकारी प्रियंका रानी, जिला कृषि कार्यालय के रविकांत कुमार, कृषि समन्वयक उपेंद्र तिवारी समेत कई किसान मौजूद थे. कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि खेतों में नमी सही है़ इसके बावजूद बीज अंकुरित नहीं होने का मतलब है, बीज ही खराब है़ क्या है मामला डेहरी प्रखंड के कृषि विभाग ने बिहार राज्य बीज निगम के गेहूं का बीज बिना जर्मिनेशन की जांच कराये ही किसानों के बीच बांट दिया था. किसान उस गेहूं बीज को खेतों में डाला. लेकिन, करीब 20 दिन बीत जाने के बाद भी खेत में गेहूं का एक पौधा तक नहीं निकला. इससे किसानों की आर्थिक क्षति हुई. यह मामला दरिहट व भुसहुला गांव में सामने आयी है. इन किसानों के खेतों में नहीं अुंकुरित हुआ गेहूं बीज जानकारी के अनुसार, दरिहट के किसान सुनील सिंह ने पांच बिगहा में बीज निगम का गेहूं के बीज बोया था. उनके खेत में एक भी गेहूं का पौधा नहीं निकला. वहीं, सत्येंद्र पाल एक बिगहा, देव चरण लाल ढाई बिगहा, भीम चंद्रवंशी दो बिगहा, अवधेश महतो ने एक बिगहा में बीज बोया. जिनके खेतों में गेहूं का एक भी पौधा नहीं उगा. वहीं, भुसहुला निवासी हीरालाल पासवान ने एक बिगहा वरामवचन पाल ने दो बिगहा में बीज निगम का गेहूं का अपने खेतों में बोया. प्रमोद कुमार सिंह, सुरेंद्र सिंह, अशोक कुमार सिंह समेत दर्जनों भुसहुला किसानों ने बिहार राज्य बीज निगम से बीज डी बी डब्लू 222 प्रजाति के गेहूं का बीज खरीद कर खेतों में डाला था. फिर गेहूं बुआई में प्रति बिगहा पांच से छह हजार रुपये होगा खर्च किसानों ने बताया कि बिहार राज्य बीज निगम का आधार बीज को अच्छी क्वाल्टी का समझाकर कृषि विभाग से 1000 रुपये की 40 किलो खरीदा था. लेकिन, गेहूं का बीज खराब निकल गया. खेतों में गेहूं का एक भी पौधा नहीं निकला. अब दुबारा खेत में बीज डालने के लिए खेतों का पटवन किया जायेगा. इससे एक माह खेती पीछे हो जायेगी. वहीं, खेत में बीज डालने ने खाद, बीज और जोताई कराने में प्रति बिगहा करीब पांच से छह हजार रुपये लगता है. अब दुबारा खर्च करना पड़ेगा. वहीं, एक माह पीछे खेती होने से गेहूं का वजन भी कम होगा. डेहरी प्रखंड में 40 किलो का 465 बैग डी बी डब्लू 222 प्रजाति का गेहूं का बीज आया था. सूचना के बाद 80 बैग लौटा दिया गया. शेष गेहूं का बीज किसानों में बट चुका है. उपेंद्र तिवारी, डेहरी प्रखंड कृषि समन्वयक बी डब्लू 222 प्रजाति का गेहूं का बीज अधिक उत्पादन देने वाला बीज है. यह 140 दिनों में तैयार होता है. पंजाब, हरियाणा के किसान इस बीज से 80 क्विंटल प्रति हेक्टर उत्पादन करते है. उन्होंने कहा कि जांच में पाया कि किसानों ने अच्छी तरह से बीज की बोआई की है. खेत में पर्याप्त नमी है. इसके बाद भी खेतों में बीज से पौधा नहीं निकला, तो इसका साफ मतलब है कि बीज खराब है. डॉ रामाकांत सिंह, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, बिक्रमगंज किसानों के खेतों की जांच की गयी है़ उनके खेतों में बीज से गेहूं का पौधा नहीं निकला है. इसकी जांच की रिपोर्ट जिले में भेजा जायेगा. प्रियंका रानी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी डेहरी
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