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निजी और सरकारी जमीन के पेच में फंसी नल जल योजना

Sasaram news. विगत 21 मार्च को शिवसागर प्रखंड की करूप पंचायत के सेमरी गांव के वार्ड 12 की नल जल योजना की खबर ‘तीन साल से पीने के पानी की परेशानी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद पीएचइडी सक्रिय हुआ और स्थल जांच की, तो पता चला कि वर्ष 2018 में यह योजना निजी जमीन पर क्रियान्वित हुई है.

करूप पंचायत के सेमरी गांव के वार्ड 12 में वर्ष 2018 में किया गया था निर्माण

योजना को दूसरी जगह लगाने के लिए पीएचइडी ने शिवसागर सीओ को लिखा पत्रकरीब 13 लाख रुपये से निर्मित योजना का ग्रामीणों को नहीं मिल रहा लाभ, पानी को तरसे

प्रभात खबर में खबर छपने पर जांच के बाद योजना के निजी जमीन पर होने का हुआ खुलासाफोटो-14- मरम्मत के अभाव में बंद पड़ी नल जल योजना.ए- प्रभात खबर में प्रकाशित खबर. प्रतिनिधि, शिवसागर.

विगत 21 मार्च को शिवसागर प्रखंड की करूप पंचायत के सेमरी गांव के वार्ड 12 की नल जल योजना की खबर ‘तीन साल से पीने के पानी की परेशानी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद पीएचइडी सक्रिय हुआ और स्थल जांच की, तो पता चला कि वर्ष 2018 में यह योजना निजी जमीन पर क्रियान्वित हुई है. अब आलम यह कि पीएचइडी ने सेमरी गांव के वार्ड 12 में नल जल योजना को निजी जमीन पर मरम्मत करने से हाथ खड़े दिये हैं. इसके साथ ही दूसरी जगह योजना के क्रियान्वयन के लिए भूमि उपलब्ध कराने को शिवसागर सीओ को पत्र लिखा है. इस संबंध में पीएचइडी के कनीय अभियंता हेमंत कुमार ने बताया कि सेमरी गांव के वार्ड 12 में नल जल की योजना की मरम्मत की कोशिश की गयी, तो जमीन मालिक ने इसका विरोध किया. निजी जमीन पर सरकारी योजना का होना आश्चर्यजनक है. विरोध और निजी जमीन के कारण खराब मोटर व बोरिंग की मरम्मत नहीं करायी जा सकती है. दूसरी जगह जमीन उपलब्ध कराने के लिए शिवसागर सीओ को पत्र लिखा गया है. जमीन उपलब्ध होने पर नये सिरे से योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा.

ठेकेदार व अफसर के कारण योजना हुई है बर्बाद

इस संदर्भ में पूर्व वार्ड सदस्य मनोज बैठा ने बताया कि 2018 में गांव के वार्ड 12 में जब नल जल योजना शुरू हो रही थी, तब मैं उस समय वार्ड सदस्य था. उस समय किसी ने निजी जमीन होने की शिकायत नहीं की थी. सभी को पता था कि यह सरकारी भूमि है. पर, योजना पूर्ण होने के बाद इसे निजी जमीन कहा जाने लगा. योजना के क्रियान्वयन के समय हमने शिकायत की थी कि बोरिंग सही नहीं है. गंदा पानी आ रहा है. लेकिन, उस समय के अफसर व ठेकेदार ने मेरी नहीं सुनी. योजना किसी तरह पूर्ण कर रुपये निकाल लिये गये. आखिर वही हुआ, जिसकी आशंका थी. बोरिंग बंद हो गयी. इसके बाद हमने कई जगह शिकायत की. लेकिन, हमारी कहीं सुनी नहीं गयी. हाल के दिनों में फिर जब मरम्मत की बात उठी है, तो लफड़ा निजी और सरकारी जमीन का बना दिया गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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