बिक्रमगंज. भारतीय ऋषि परंपरा और सनातन संस्कृति के जागरण के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में सोमवार को नगर के अंजबित सिंह कॉलेज मैदान में आयोजित 24 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ व विराट पुस्तक मेले को लेकर भव्य शोभायात्रा निकाली गयी. शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए काशी घाट पहुंची. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जलभरी की गयी. इस दौरान काव नदी के पावन तट पर वैदिक विधि-विधान से पूजन कर सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार का संकल्प लिया गया. आयोजक समिति में शामिल नवीन चंद्र साह जलभरी के बाद शोभायात्रा यज्ञ स्थल अंजबित सिंह कॉलेज परिसर पहुंचे. इसके बाद महायज्ञ की विधिवत शुरुआत की गयी. शोभायात्रा के दौरान गायत्री महामंत्र से वातावरण भक्तिमय बना है. श्रद्धालु ””गायत्री माता की जय””, ””वेद भगवान की जय””, ””भारत माता की जय”” जैसे ओजस्वी उद्घोष कर रहे थे. इन उद्देश्यों से किया जा रहा यज्ञ शोभायात्रा में समाज सुधार व वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण का संदेश प्रमुख रूप से दिया गया. गायत्री परिवार की ओर से आयोजित यह महायज्ञ सात प्रमुख उद्देश्यों को समर्पित है. संस्कार संवर्धन, दुष्प्रवृत्तियों का उन्मूलन, पर्यावरण परिशोधन, कृषि परंपरा का पुनर्जागरण, नारी सशक्तीकरण, समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना व मानव जाति को अपनी गरिमा का बोध कराना. यज्ञ आयोजन के प्रत्येक पहलू में वेदमाता गायत्री के दिव्य संदेश को आत्मसात कराने का प्रयास किया जा रहा है. 24 मार्च से 27 मार्च तक चलेगा महायज्ञ आयोजकों में शामिल जयप्रकाश सिंह ने बताया कि महायज्ञ 24 मार्च से प्रारंभ होकर 27 मार्च तक चलेगा. इसमें सभी धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जायेंगे. प्रतिदिन प्रातः 5:30 बजे से संगीतमय प्रवचन व भजन संध्या का आयोजन होगा. इसमें विद्वान आचार्यगण वेद, उपनिषद, गीता व सनातन संस्कृति की महान परंपराओं पर प्रकाश डालेंगे. उन्होंने बताया कि युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य व वंदनीय माता भगवती देवी के सूक्ष्म संरक्षण में आयोजित इस महायज्ञ के माध्यम से सनातन संस्कृति के महान आदर्शों को समाज में पुनः जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है. गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं व आयोजकों ने नगरवासियों से इस पावन अनुष्ठान में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की है. महायज्ञ में प्रमुख रूप से हरिद्वार उपाध्याय, जयप्रकाश सिंह, श्रीनाथ सिंह, चितरंजन सिंह, नवीन चंद्र साह, राकेश शर्मा, रामनिवास सिंह, अशोक प्रसाद, शंभू शरण सिंह कश्यप, अखिलेश पांडेय, रमन गुप्ता, सुरेंद्र प्रसाद, सुदर्शन प्रसाद, वैश्य, जितेंद्र सिंह, श्रीभगवान सिंह आदि ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. वहीं, बहनों में सुशील उपाध्याय, सुशीला सिंह, सुनैना श्री, कृष्णा देवी, शांति देवी, हीरामणि देवी, कुसुम देवी, बबीता, सुनीता कुमारी, शारदा देवी, किरण सिंह, सुकुमारी देवी, रोशनी कुमारी सहित कई अन्य ने अपनी सहभागिता निभायी.
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