सासाराम़ पूर्वी चंपारण के भितिहरवा में महात्मा गांधी ने आंदोलन का प्रयोग शुरू किया था. सत्याग्रह से शुरू आंदोलन बाद में चलकर आजादी का आंदोलन बन गया था. जब देश आजाद हुआ, तो अधिकतर राजनीतिक व सामाजिक आंदोलन या फिर यात्राओं का श्रीगणेश विभिन्न राजनीतिक दल या संगठन इसी भितिहरवा से करते रहे हैं. लेकिन, अब तक के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी राजनीतिक संगठन ने बिहार में किसी आंदोलन का शुभारंभ शेरशाह सूरी के शहर सासाराम से किया है, वह भी कांग्रेस. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में 17 अगस्त को मतदाता अधिकार यात्रा का शुभारंभ किया गया, तो सासाराम किसी बड़े आंदोलन का उद्गम स्थल बन गया. बड़े ही तामझाम से यात्रा शुरू होने से पहले जनसभा की गयी. जनसभा में महागठबंधन के विभिन्न झंडों की उपस्थिति यह दर्शाने की लिए काफी थी कि इस आंदोलन का श्रीगणेश अच्छा हुआ. जनसभा में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की उपस्थिति यह बता गयी कि बेटे के भविष्य के लिए एक पिता कोई कोर कसर नहीं छोड़ता. खैर, लालू प्रसाद को वक्ता के रूप में सबसे अंतिम में रख कर महागठबंधन जनता को पंडाल में मौजूद रखने में सफल हो गया. हालांकि, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के यह कहने के बावजूद कि जिसको नहीं सुनना है, वह चले जाएं. मुझे बोलना है, मैं तो बोलूंगा ही. इसके बावजूद जनता लालू प्रसाद के लिए रुकी रही. हालांकि लालू प्रसाद ने बहुत ही संक्षिप्त भाषण दिया, फिर भी अधिकांश जनता उतने से ही खुश दिखी. सासाराम से किसान आंदोलन के शुभारंभ की हो रही तैयारी आगामी 10 सितंबर को सासाराम में देश के 22 राज्यों के किसान नेताओं का जुटान होने जा रहा है. मुद्दा वही पुराना है, मजदूर-किसान विरोधी कानून को रद्द कराना. लेकिन, इस बार हरियाणा और पंजाब की जगह प्रयोग स्थल बिहार को बनाने की तैयारी है. इसका श्रीगणेश सासाराम की धरती से करने की तैयारी हो रही है. सोमवार को कम्युनिस्ट नेता अशोक बैठा ने नगर निगम के सफाईकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने शहर सासाराम में 22 राज्यों के किसान नेता आ रहे हैं. आप का सहयोग चाहिए. आप बाल-बच्चों के साथ रेलवे मैदान में 10 सितंबर को जुटेंगे. जहां से दोपहर में रैली निकलेगी, जो शहर के न्यू स्टेडियम जायेगी. यहां मजदूरों व किसानों के विरुद्ध कानूनों को हटाने के लिए आंदोलन का शुभारंभ होगा. 17 अगस्त को हुई महागठबंधन की सभा और इसके अगर 10 सितंबर को किसान नेताओं की सभा होती है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अब सासाराम आंदोलनों की स्थली बन गयी है, जहां से पूरे बिहार के साथ देश को साधने की मुहिम होने लगी है. महागठबंधन की जीत नेताओं को कर रही आकर्षित 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत ने उसके नेताओं को अपने माकूल वातावरण दे दिया है. सासाराम, बक्सर, आरा और औरंगाबाद में उसके सांसद हैं, तो रोहतास जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन के ही विधायक हैं. ऐसे में वर्तमान में रोहतास जिला महागठबंधन का गढ़ बन गया है. यही कारण है कि राहुल गांधी ने अपने बड़े आंदोलन के साथ बिहार के विधानसभा चुनाव को साधने के लिए मतदाता अधिकार यात्रा का शुभारंभ सासाराम से किया. इसमें उन्हें भीड़ के रूप में सफलता भी मिलती नजर आयी. डेहरी के भव्य स्वागत से उत्साहित राहुल गांधी औरंगाबाद में जमकर बोले.
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