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ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी के साथ ताड़ना शब्द का सही अर्थ समझना चाहिए: जीयर स्वामी जी महाराज

SASARAM NEWS.परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि महिलाओं को स्वतंत्र और स्वच्छंद आचरण, व्यवहार नहीं करना चाहिए.

परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने दिया प्रवचन

प्रतिनिधि, सूर्यपुरा

परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि महिलाओं को स्वतंत्र और स्वच्छंद आचरण, व्यवहार नहीं करना चाहिए. ढोल, गंवार, शूद्र, पशु नारी यह सब ताड़ना के अधिकारी, इस चौपाई को समझाते हुए स्वामीजी ने कहा कि शब्द का अर्थ प्रकरण के अनुसार होता है. शब्द का अर्थ केवल शब्द के अनुसार नहीं बल्कि स्थिति, समय के अनुसार किया जाता है. तुलसीदासजी की रचित श्रीरामचरितमानस में इस चौपाई को तुलसीदास जी या श्री राम जी ने नहीं कहा था. यह चौपाई समुद्र के द्वारा कही गयी थी. वहीं जब भगवान श्रीराम ने समुद्र को तीन दिन प्रार्थना करने के बाद भी अपने व्यवहार को व्यवस्थित नहीं किया, तब राम ने क्रोधित होकर समुद्र को सुखाने के लिए बाण धनुष पर चढ़ा लिया था. तब समुद्र ने प्रकट होकर अपना आचरण व्यवहार इस चौपाई के माध्यम से श्रीराम से बताया था. इस चौपाई में ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी की चर्चा की गयी है. जिसके साथ ताड़न शब्द क्रिया के रूप में उपयोग किया गया है. ताड़न शब्द का मतलब जानना, अनुभव करना, समझना, बताना इत्यादि होता है. शुद्र उसे कहा जाता है, जो अपना आचरण, आहार, व्यवहार, संगत से भटक जाता है. वह चाहे किसी भी जाति से आता हो, उसे शुद्र कहा गया है. गंवार उसे कहा जाता है, जो बिना जाने, बिना समझे, बिना जानकारी के अपनी बातों को रखता है, उसे गंवार कहा गया है. ढोल शब्द चौपाई में है, जिसके साथ भी ताड़ना शब्द है. यहां पर ताड़ना मतलब यदि आप पीटना अर्थ निकालेंगे, तब ढोल को यदि आप डंडे से पीटेंगे तो उसका आवाज बिगड़ जायेगा. इसलिए यदि आप ताड़ना शब्द को केवल पीटना समझते हैं, तो यह बिल्कुल गलत है. स्वामीजी ने कहा कि यहां पर ढोल के साथ ताड़ना शब्द का मतलब अनुभव, अनुभवी, जानकारी, जानने वाला, समझने वाला वादक जो ढोल को सही तरीके से बजाता हो, उसके लिए ताड़ना शब्द यहां पर उपयोग किया गया है. पशु शब्द भी इसमें आता है, जिसका मतलब संरक्षण करना, देखरेख करना, निगरानी करना बताया गया है. यदि आप पशु को स्वतंत्र छोड़ देंगे, तो वह भटक जायेगे. नारी शब्द भी चौपाई के अंदर जोड़ा गया है. उसके साथ ताड़ना शब्द आता है. यहां पर नारी के साथ ताड़ना शब्द का मतलब पीटना नहीं होता है. बल्कि नारी को स्वतंत्र, स्वच्छंद आचरण, व्यवहार, संगत को त्यागने को बताया गया है. क्योंकि नारियों को ,महिलाओं को अपने अभिभावक के मर्यादा में रहने को बताया गया है. नारी यदि अपने पिता के घर में रहे तो उसे अपने पिता, भाई, बाबा, दादा के मर्यादा में रहना चाहिए. नारी यदि शादी के बाद अपने ससुराल में रहती है. तो उसे अपने पति, ससुर, देवर की मर्यादा में रहना चाहिए. यदि नारी बुजुर्ग हो गयी है तो उन्हें अपने पुत्र, नाती की मर्यादा में रहना चाहिए. क्योंकि जब-जब नारी स्वतंत्र आचरण व्यवहार को अपनाती है, तब उन्हें गलत परिणाम का सामना करना पड़ा है. कहा कि सती ने शंकर जी के वचनों का पालन नहीं किया. उन्होंने भगवान श्रीराम पर संशय किया. जिसके परिणाम स्वरूप शंकर जी के मना करने पर भी सती सीताजी का रूप बनाकर भगवान श्रीराम के पास परीक्षा लेने के लिए चली गयी.जाने का परिणाम बहुत ही गलत हुआ. भगवान श्री राम हाथ जोड़कर प्रणाम करने लगे. उन्होंने कहा माता आप अकेले कहां जा रही हैं. शंकर जी कहां हैं.जिसके बाद सती का संशय तो खत्म हो गया, लेकिन उसका परिणाम बहुत ही बड़ा चुकाना पड़ा. वही एक बार सती के पिताजी राजा दक्ष यज्ञ कर रहे थे. उस यज्ञ में शंकर जी को निमंत्रण नहीं मिला. सती अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए शंकर जी से कह रही थी. शंकर जी ने सती को मना किया कि जहां पर निमंत्रण न मिला हो, वहां पर नहीं जाना चाहिए. लेकिन शंकर जी की बातों का अवहेलना करते हुए सती ने अपने पिता के यज्ञ में जाने का फैसला किया. जिसके परिणाम स्वरुप सती को वहीं यज्ञ में समाप्त होना पड़ा.

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