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अपने ही महकमे की एएसआइ के पति से घूस ले रहा था जीआरपी का दारोगा

Sasaram news.अपने ही महकमे की एएसआई के पति से घूस लेते जीआरपी का दारोगा विजय कुमार सिंह पकड़ा गया. सासाराम रेलवे स्टेशन परिसर में बने एक क्वार्टर में बुधवार की दोपहर घूस की दूसरी किस्त का पांच हजार रुपये लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने जीआरपी दारोगा को रंगे हाथों पकड़ा है

जीआरपी में दर्ज कांड में लाभ देने के लिए मांगी थी 20 हजार रुपये की घूस

10 हजार रुपये पहले ले चुका था, दूसरी किस्त पांच हजार रुपये लेते रंगे हाथों निगरानी के हत्थे चढ़ाफोटो-3- अपनी टीम के साथ निगरानी की वरीय पुलिस उपाधीक्षक कुमारी किरण पासवान.प्रतिनिधि, सासाराम कार्यालय.

अपने ही महकमे की एएसआइ के पति से घूस लेते जीआरपी का दारोगा विजय कुमार सिंह पकड़ा गया. सासाराम रेलवे स्टेशन परिसर में बने अपने क्वार्टर में बुधवार की दोपहर घूस की दूसरी किस्त के पांच हजार रुपये लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम के हत्थे चढ़ गया. घूस के रुपये जीआरपी दारोगा अपने ही महकमे की दारोगा बसंती देवी और उनके पति रवि यादव से कांड संख्या-10/25 में धारा 41 के तहत लाभ दिलाने के लिए ले रहा था. इस संबंध में पटना में पदस्थापित एएसआइ बसंती कुमारी के पति रवि यादव ने बताया कि 24 फरवरी 2025 को जीआरपी में नीरज कुमार गुप्ता नामक एक व्यक्ति ने झूठा केस दर्ज कराया था, जिसमें मेरी पत्नी पर चेन छीनने और मारपीट का आरोप लगाया था. इसी कांड में धारा 41 में लाभ देने के लिए जीआरपी के दारोगा विजय कुमार सिंह ने 20 हजार रुपये घूस मांगी थी. इसकी शिकायत हमने ने निगरानी में दर्ज करायी थी. घूस के 10 हजार रुपये हमने पहले दिये थे और पांच हजार रुपये देना तय हुआ था.

इधर, निगरानी की वरीय पुलिस उपाधीक्षक कुमारी किरण पासवान ने बताया कि निगरानी में शिकायत दर्ज होने के बाद जाल बिछाया गया था. जीआरपी दारोगा विजय कुमार सिंह अपने क्वार्टर में पांच हजार रुपये घूस ले रहा था. तभी उसे रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है. यह घूस वह जीआरपी में दर्ज कांड संख्या-10/25 में आरोपित को धारा 41 का लाभ दिलाने के लिए अनुसंधानकर्ता के रूप में ले रहा था. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार दारोगा को पटना निगरानी कोर्ट में पेश किया जायेगा.

घूसखोरी के आरोप में जीआरपी दारोगा 39वां शिकार

जिले में घूसखोरी के आरोप में सरकारी महकमों में कार्यरत अफसरों व कर्मचारियों के पकड़े जाने का यह 39वां मामला है. घूसखोरी के आरोप में पकड़े जाने का सिलसिला वर्ष 2007 से शुरू हुआ था. अब तक 18 वर्षों में भ्रष्टाचार निरोधक कानून की जद में प्रतिवर्ष दो से अधिक का आंकड़ा पर करने लगा है. सीबीआइ और निगरानी की हाथ से जिले का शायद ही कोई सरकारी विभाग बचा है. केंद्रीय कार्यालयों से लेकर बिहार सरकार के कार्यालयों तक में छापे पड़ चुके हैं और अफसर लेकर लिपिक तक घुसखोरी के आरोप में पकड़े जा चुके हैं.

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