सासाराम ऑफिस. बदलते जलवायु और कृषि पैदावार की अनिश्चितता से बचने के लिए किसानों को आय के अतिरिक्त साधनों को अपनाने की आवश्यकता है. ऐसे कई विकल्पों में से एक बेहतरीन विकल्प है, मधुमक्खी पालन करना. मधुमक्खी पालन से न केवल शहद, मोम, मधु- विष, प्रोपोलिस जैसे कई उत्पाद प्राप्त होते हैं, बल्कि ये मधुमक्खियां पर-परागण कर कृषि उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. इसका पालन कर किसान अतिरिक्त आय कर सकते हैं. उक्त बातें गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के कीट विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ आदित्य पटेल ने किसानों को जानकारी देते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. क्योंकि, मधु यानी शहद की मांग मार्केट में लगातार बनी रहती है. लोगों में इसकी गुणवत्ता के कारण जागरूकता बढ़ती जा रही है. डॉ पटेल ने कहा कि सबसे अधिक पाली जाने वाली मधुमक्खी की प्रजाति इटालियन मधुमक्खी है. इटालियन मधुमक्खियों से प्रति वर्ष प्रति बक्सा 36 किलोग्राम तक शहद की प्राप्ति की जा सकती है. मधुमक्खियों की अन्य प्रजातियां जैसे भारतीय मधुमक्खी, छोटी मधुमक्खी और डंक सहित मधुमक्खी भी हैं. लेकिन, इन सब प्रजातियों का शहद उत्पादन अपेक्षाकृत कम होने के कारण इनका पालन कम होता है. वहीं, भंवर मधुमक्खी, जिसका शहद उत्पादन अन्य सभी मधुमक्खियों से ज्यादा है. परंतु इनका उग्र स्वभाव एवं बार-बार अपनी जगह परिवर्तन करने के कारण, इनको पालन संभव नहीं हो पाता है. किसान इसका अच्छे से पालन और उत्पादन कर सकें, इसलिए उन्हें अच्छे संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है. इसके उपरांत वो सरकारी अनुदान पर 10-20 पेटियां प्राप्त कर सकते हैं. डॉ पटेल ने कहा कि मधुमक्खियां अपने भोजन की तलाश में अपने स्थान से 2-3 किलोमीटर तक की यात्रा करती हैं. इसलिए मधुमक्खी पालक के लिए खुद की जमीन होना आवश्यक नहीं है. मधुमक्खी पालन किसी भी ऐसे स्थान पर किया जा सकता है, जहां फूलों की अच्छी मात्रा में उपलब्धता हो और उनके भोजन का अभाव न हो. मधुमक्खी पालन के लिए गांव, खेत, बगीचे और जंगल वगैरह उचित माने गये हैं. मधुमक्खी पालन किसी भी मौसम में किया जा सकता है. लेकिन, हमारे स्थानीय क्षेत्र मे मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त समय और मौसम सितंबर-अक्त्तूबर महीने का है. इसके साथ-साथ सरसों के फूल आने पर किया जा सकता है. मधुमक्खी पालन में अत्यंत आवश्यक है कि मधुमक्खियों का व्यवहार, स्वभाव, भोजन एवं प्रजनन चक्र, फूलों की पहचान, मधुमक्खियों के बीमारियों व दुश्मन और विभिन्न मौसमों में उनकी जरूरतों का ज्ञान होना चाहिए.
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