डीटीओ कार्यालय में वर्ष 2021-2023 तक होता रहा रुपये गबन का खेल
गबन के आरोपित चारों कर्मचारियों, डाटा इंट्री ऑपरेटरों व प्रोग्रामर का हो चुका है स्थानांतरण
प्रतिनिधि, सासाराम ग्रामीण.
जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट में राजस्व के मामले में अहम विभाग जिला परिवहन में दो वर्षों तक करोड़ों रुपये के गबन खेल होता रहा. इस बीच गबन के आरोपी चारों कर्मचारियों, तीन डाटा इंट्री ऑपरेटरों व एक प्रोग्रामर का तबादला भी हो गया. अब जबकि कर्मचारी दूसरे जिले में चले गये हैं, को इसका मामला खुलासा हो रहा है. गबन के आरोपितों में डाटा इंट्री ऑपरेटर अजय कुमार, जिसके ऊपर करीब 1.45 करोड़ रुपये गबन का आरोप है, वह वर्तमान में परिवहन कार्यालय भोजपुर, अक्षय कुमार के ऊपर 46.70 लाख रुपये के गबन का आरोप लगा है, वह परिवहन कार्यालय भभुआ में पदस्थापित है. इसके बाद डाटा इंट्री ऑपरेटर अनिल कुमार और प्रोग्रामर अनिल कुमार दोनों पर एकमुश्त करीब 55 लाख रुपये गबन का आरोप है. डाटा इंट्री ऑपरेटर अनिल कुमार वर्तमान में परिवहन कार्यालय पटना और प्रोग्रामर परिवहन कार्यालय खगड़िया में पदस्थापित हैं. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस को अब इन चारों जिलों के चक्कर लगाने पड़ेंगे. ऐसे में रुपये कितना और कब वापस आयेगा? कहना मुश्किल है. पर, एक बात है कि डीटीओ कार्यालय सासाराम में वर्ष 2021 से जून 2023 तक दो सालों में 2.20 करोड़ रुपये गायब हो गये और अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी. इस दौरान वर्ष 2021 से 2025 तक चार डीटीओ बदल गये और गबन का खुलासा चार अगस्त 2025 को तब हुआ, जब ऑडिट रिपोर्ट आने पर अधिकारी को निर्देश मिला कि चारों कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करें.वर्तमान डीटीओ जुलाई 2022 से पद पर हैं कायम
वर्ष 2021 से खेल शुरू हुआ और 2023 तक चला. इस बीच वर्तमान डीटीओ का जुलाई 2022 में ही आगमन हो चुका था. तो, क्या इनके पहले वाले भी इसमें शामिल थे और इन्होंने आंखे बंद रखी? हालांकि डीटीओ रामबाबू ने कहा कि कम्प्यूटर से काम होने के कारण जमा राशि का पता स्थानीय स्तर पर नहीं चल पाता है. यह तो सीएजी की जांच में पकड़ा गया है. रिपोर्ट आने के बाद तत्काल कार्रवाई शुरू की गयी. उसी कार्रवाई के तहत नोटिस जारी होने पर डाटा इंट्री ऑपरेटर अजय कुमार ने 26 जून 2025 को 1599075 रुपया जमा कराया था. ऐसे में सवाल उठता है कि जब उसने गबन स्वीकार करते हुए रुपये जमा कराये, तो उसी समय उसके साथ अन्य पर प्राथमिकी क्यों नहीं की गयी? खैर यह मामला पुलिस में पहुंचा है, तो अब पुलिस अपने स्तर से काम कर सरकारी धन वापस लाने की कोशिश करेगी.क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में सदर एसडीपीओ- 1 दिलीप कुमार ने बताया कि डीटीओ कार्यालय के चार कर्मियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कार्यालय के अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की गयी है. जांच के दौरान विभागीय अधिकारी से कागजातों की मांग की गयी है. कागजातों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

