23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

माइक्रोबायोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की महत्वपूर्ण विधा : कुलाधिपति

आयोजन. नारायण मेडिकल कॉलेज में राज्यस्तरीय माइक्रोबायोलॉजी सम्मेलन शुरू, बीआर माइक्रोकोन में माइक्रोस्कॉपी से जीनोमिक्स तक आधुनिक चुनौतियों पर हुआ मंथन

सासाराम ऑफिस. चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में नारायण मेडिकल कॉलेज जमुहार को राज्यस्तरीय माइक्रोबायोलॉजी सम्मेलन बीआर माइक्रोकोन की मेजबानी का अवसर प्राप्त हुआ है. दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में बिहार सहित आसपास के राज्यों से आये माइक्रोबायोलॉजी विषय के विद्वान, चिकित्सक और शोधकर्ता भाग ले रहे हैं, जिससे चिकित्सा जगत को निश्चित रूप से महत्वपूर्ण लाभ मिलने की उम्मीद है. उक्त बातें जमुहार स्थित देव मंगल सभागार में आयोजित उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व पूर्व राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने कहीं. उन्होंने कहा कि माइक्रोबायोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की अति महत्वपूर्ण विधा है. इसकी उपयोगिता और महत्व कोरोना काल में व्यापक रूप से सामने आया, जब संक्रमण की पहचान, उपचार और रोकथाम में इस विषय की भूमिका निर्णायक रही. उन्होंने कहा कि बिना वैज्ञानिक जांच के चिकित्सकों के लिए भी उपचार करना कठिन होता है, इसलिए निरंतर हो रहे नये अनुसंधान और खोज से अपडेट रहना अत्यंत आवश्यक है. इसी उद्देश्य से इस प्रकार के अकादमिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाना चाहिए. कुलाधिपति ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट, बिहार चैप्टर द्वारा नारायण मेडिकल कॉलेज को इस प्रतिष्ठित आयोजन के लिए चयनित किये जाने पर आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. इसके बाद अतिथियों को अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जगदीश सिंह, कुलाधिपति के सलाहकार डॉ महेंद्र कुमार सिंह, विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति गोविंद नारायण सिंह, नारायण मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ हीरालाल महतो, चिकित्सा अधीक्षक डॉ पुनीत कुमार सिंह सहित कई वरिष्ठ चिकित्सकों और शिक्षाविदों ने अपने विचार रखे. बिहार चैप्टर की अध्यक्ष डॉ प्रो नम्रता कुमारी, विभागाध्यक्ष आइजीआइएमएस पटना, सचिव डॉ प्रो प्रियंका नारायण पीएमसीएच पटना, नारायण मेडिकल कॉलेज के डॉ अश्विनी कुमार, डॉ वर्णवाल, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ आर के श्रीवास्तव सहित अन्य विशेषज्ञ भी मंच पर उपस्थित रहे. माइक्रोबायोलॉजी को आगे बढ़ने के लिए की गयी चर्चा सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने माइक्रोस्कॉपी से जीनोमिक्स तक आधुनिक युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए माइक्रोबायोलॉजी को आगे बढ़ना विषय पर विस्तार से चर्चा की. वक्ताओं ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से माइक्रोबायोलॉजी सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के लिए माइक्रोस्कोपिक और कल्चर आधारित तरीकों पर निर्भर रही है. इसने सूक्ष्म जीवों की संरचना और कार्य को समझने में आधार प्रदान किया. वहीं, आधुनिक युग में उन्नत आणविक और जीनोमिक तकनीकों के साथ इन पारंपरिक तरीकों का इंटीग्रेशन समय की आवश्यकता बन गया है. विशेषज्ञों ने बताया कि पीसीआर और संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग जैसी आधुनिक जांच विधियां पारंपरिक समय लेने वाली तकनीकों की तुलना में रोगजनकों और एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन की तेजी से और अधिक सटीक पहचान करती हैं, जो प्रभावी उपचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. सम्मेलन के अंत में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ राकेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का समापन रविवार दोपहर बाद होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel