छपरा- बिहार की महिलाएं अब केवल घर की चौखट तक सीमित नहीं हैं. बल्कि वे अपने सपनों को साकार करने के लिये नीतियों के केंद्र में आकर अपनी भूमिका निभा रही हैं. राज्य सरकार द्वारा आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम के माध्यम से वे न केवल अपनी सफलता की कहानियां साझा कर रही हैं. बल्कि राज्य के समावेशी विकास हेतु ठोस सुझाव भी दे रही हैं. सारण जिले के विभिन्न प्रखंडों में आज कुल 36 महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित किये गये. जिनमें सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने भाग लिया. इन कार्यक्रमों में महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किये. सरकारी योजनाओं से मिली सफलता को रेखांकित किया और अपने गांव, पंचायत और समाज के विकास को लेकर स्पष्ट और व्यावहारिक सुझाव रखे. कार्यक्रम में भाग लेने वाली महिलाओं और युवतियों ने बताया कि कैसे उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे स्वरोजगार, शिक्षा, सुरक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से अपनी ज़िंदगी को एक नई दिशा दी. महिलाओं ने अपनी आकांक्षाएं भी खुलकर रखीं गांवों में नालियों की बेहतर व्यवस्था, सड़कों की मरम्मत, सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, विधवा पेंशन में वृद्धि, राशन दुकानों की स्थापना और दिव्यांग भत्ता जैसी सुविधायें प्रमुख मांगों में शामिल रहीं. दिघवारा प्रखंड की महिलाओं ने अपने क्षेत्र में स्नातक स्तरीय कॉलेज की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया. ताकि उनके बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दूर न जाना पड़े. यह संवाद केवल जीविका समूहों तक सीमित नहीं रहा. इसमें उन महिलाओं की भी भागीदारी रही जो अभी समूह से नहीं जुड़ी हैं. यह दर्शाता है कि महिला संवाद कार्यक्रम ने समावेशिता को प्राथमिकता दी है. सरकार की ओर से यह पहल इस उद्देश्य से की गई है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में चल रही योजनाओं की समीक्षा हो सके और नई नीतियों के निर्माण में महिलाओं की वास्तविक जरूरतें शामिल की जा सकें. संवाद के दौरान प्राप्त सुझावों और आकांक्षाओं को मोबाइल एप के माध्यम से संकलित किया जा रहा है. इससे नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी. और योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार लाने में मदद मिलेगी.अब तक सारण जिले के 521 ग्राम संगठनों में महिला संवाद आयोजित हो चुका हैं.
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