छपरा. जिले की मस्जिदों में माह-ए-रमजान के तीसरे जुमा की नमाज अदा करने के लिए विशेष तैयारियां की गयी थीं. इस मौके पर मस्जिदों में विशेष चहल-पहल और धार्मिक उल्लास का माहौल देखने को मिला. रोजेदारों ने सुबह जल्दी सहरी की और फिर मस्जिदों में एकजुट होकर नमाज अदा की. इसके साथ ही, कई लोग घरों में भी अपनी धार्मिक गतिविधियों में जुटे हुए थे. नमाज से पहले, इमाम ने रमजान की फजीलत पर तकरीर की और रोजे की अहमियत को बताया. उन्होंने कहा कि रोजा रखने से न सिर्फ इंसान की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि यह शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है. रोजे से पाचन तंत्र मजबूत होता है और कई बीमारियों से बचाव होता है, जिसमें कैंसर का खतरा भी कम होता है. काजी-ए-शहर मौलाना डा. वलीउल्लाह कादरी ने कहा कि रमजान के महीने में इंसान को न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह भूख और प्यास की तकलीफों को महसूस करने का अवसर भी देता है, जिससे समाज में दया और मदद की भावना उत्पन्न होती है. मस्जिदों में, रोजेदारों ने तिलावत कलाम पाक की और सुन्नतें अदा की. जुमा की नमाज के बाद, इमाम ने सबको दुआ करने की प्रेरणा दी और हाथ उठाकर हर किसी की सलामती और खुशहाली की दुआ की. नमाजियों ने इमाम की दुआ पर आमीन कहा और अपने-अपने घरों में लौटकर तस्बीह और तिलावत जारी रखी. इस दिन का हर पल रब को राजी करने और उसके क़रीब जाने का था.मौलाना ने समुदाय से अपील की कि रमजान के दौरान, खासकर जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करें और इफ्तार में उन्हें शरीक करें ताकि सवाब हासिल हो सके. रमजान का महीना हमें इंसानियत और दया की राह पर चलने की प्रेरणा देता है.
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