दाउदपुर (मांझी). कभी सारण जिले के टॉप टेन विद्यालयों में गिना जाने वाला उच्च विद्यालय जैतपुर आज अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में लगा है. मांझी अंचल क्षेत्र का यह ऐतिहासिक विद्यालय वर्ष 2027 में अपनी शताब्दी वर्षगांठ मनाने जा रहा है, लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता, बुनियादी संरचना और संसाधनों की भारी कमी के चलते विद्यालय का गौरवशाली अतीत आज धूमिल होता नजर आ रहा है.यह विद्यालय दाउदपुर क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है. पिछले नौ दशकों में यहां से शिक्षित छात्र देशभर में अधिकारी, शिक्षक और विद्वान बनकर समाज की सेवा कर चुके हैं. वर्तमान में कक्षा आठवीं से लेकर इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई यहां संचालित होती है, जिसमें कुल करीब 500 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं.
संसाधनों की भारी कमी, एक कमरे में चल रही हैं चार कक्षाएं
विद्यालय की स्थिति बेहद चिंताजनक है. भवनों की संख्या अपर्याप्त है और कई कमरे पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. शेष कमरों की छतें जर्जर हैं और फर्श टूट चुके हैं. शिक्षकों को मजबूरन एक ही कमरे में चार कक्षाओं की पढ़ाई करानी पड़ रही है, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ रहा है.प्रयोगशाला व शौचालय की स्थिति है बदहाल
विद्यालय में वर्षों से प्रयोगशाला भवन अधूरा पड़ा है. छात्र-छात्राओं के उपयोग के लिए बने शौचालय भी जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं, जिससे विद्यार्थियों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. ग्राम पंचायत राज जैतपुर के पूर्व मुखिया जय प्रकाश साह ने कहा, यह विद्यालय कभी शैक्षणिक मानकों में अग्रणी रहा है, लेकिन आज यह अपनी पहचान खो रहा है. शताब्दी वर्षगांठ गर्व का विषय है, परंतु विद्यालय की जर्जर स्थिति चिंताजनक है. वहीं, भाजपा युवा नेता हरिमोहन सिंह गुड्डू ने कहा कि हम सबने इसी विद्यालय से पढ़ाई की है. अब यहां गुरुओं और छात्रों के बीच पहले जैसा सामंजस्य नहीं दिखता. विभागीय स्तर पर भी विद्यालय की देखभाल नहीं हो पा रही है. दाउदपुर पंचायत के मुखिया अभिषेक कुमार सिंह ने विद्यालय की बदहाली पर गहरी चिंता जताते हुए कहा,पंचायत में यह एकमात्र प्रमुख सरकारी विद्यालय है, जहां से छात्र अपनी दसवीं और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी करते हैं. ऐसी स्थिति में विभाग को तुरंत प्रभाव से भवन, कक्षाओं और मूलभूत सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए.
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