पटना. छपरा सदर के अंचलाधिकारी द्वारा जमाबंदी के मामले को चार साल तक अपने कार्यालय में लंबित रखने के मामले को हाइकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है. हाइकोर्ट ने इस मामले में छपरा सदर के अंचलाधिकारी के रवैया पर नाराजगी जाहिर करते हुए छपरा सारण के कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वह हर हाल में चार सप्ताह के अंदर कोर्ट में स्थिति स्पष्ट करते हुए अपना जवाब दायर कर यह बताएं कि यह मामला संबंधित अंचलाधिकारी के कार्यालय में चार साल से क्यों लंबित पड़ा हुआ है. न्यायाधीश शैलेंद्र सिंह की एकल पीठ ने राजीव शंकर द्विवेदी और और अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता शशि शेखर द्विवेदी ने कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट का अधिवक्ता है और उनकी मां सरोज द्विवेदी के नाम पर वर्षों पहले यह जमीन छपरा सदर अंचल में खरीदी गई थी . जमीन खरीदे जाने के बाद याचिकाकर्ता की मां के नाम पर इस जमीन का जमाबंदी हुआ और रसीद भी कटा . मां की मृत्यु हो जाने के बाद याचिकाकर्ता ने इस जमीन की जमाबंदी अपने नाम पर कराने के लिए संबंधित अंचलाधिकारी के कार्यालय में सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए अपना आवेदन दिया . लेकिन चार वर्ष तक इस जमीन का जमाबंदी अंचलाधिकारी के कार्यालय द्वारा नहीं किया गया और इस मामले में टाल मटोल किया जाता रहा है . बाध्य होकर यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई .
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