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Saran News : 8.29 लाख की लागत से मांझी में बना ग्रीन पार्क देखरेख के अभाव में हुआ बदहाल

प्रखंड मुख्यालय परिसर में मनरेगा योजना के अंतर्गत लाखों रुपये की लागत से वर्षों पूर्व निर्मित ग्रीन पार्क आज पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुका है.

मांझी. प्रखंड मुख्यालय परिसर में मनरेगा योजना के अंतर्गत लाखों रुपये की लागत से वर्षों पूर्व निर्मित ग्रीन पार्क आज पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुका है. आम जनता के मनोरंजन और स्वास्थ्य लाभ के उद्देश्य से विकसित किये गये इस पार्क का वर्तमान में कोई उपयोग नहीं हो रहा है. रखरखाव और देखरेख के अभाव में यह पार्क उजाड़ और वीरान हो गया है. स्थानीय लोगों के लिए यह पार्क मॉर्निंग वॉक, योग और मनोरंजन का एक बेहतरीन स्थल बन सकता था, लेकिन आज यह पूरी तरह से बंद पड़ा है. मुख्य द्वार पर हमेशा ताला लटका रहता है, जिससे आम जनता अंदर नहीं जा पाती. परिणामस्वरूप लोग मजबूरी में व्यस्त सड़कों जैसे मांझी ताजपुर, मांझी एकमा, मांझी-बनवार मुख्य पथ पर टहलने को विवश हैं.

पार्क की अनुपलब्धता के कारण लोग मजबूरन सड़कों पर मॉर्निंग वॉक करने को विवश

सड़क किनारे मॉर्निंग वॉक करने वाले बुजुर्ग, महिलाएं और युवा रोजाना वाहन प्रदूषण और तेज रफ्तार ट्रैफिक का सामना करते हैं. इससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है. कई बार लोग बाल-बाल बचते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है.

रखरखाव के अभाव में जर्जर हुई संरचना

पार्क में पहले सुंदर फूलों के पौधे और आम के पेड़ लगे थे, साथ ही बैठने के लिए बेंच आदि की भी व्यवस्था थी, लेकिन लंबे समय से देखभाल न होने के कारण पेड़-पौधे सूख चुके हैं, बेंचें टूट चुकी हैं और चारदीवारी की हालत भी बेहद खराब हो चुकी है. चारों ओर झाड़ियां उग आई हैं, जिससे यह क्षेत्र असुरक्षित प्रतीत होता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. यदि समय रहते इसका जीर्णोद्धार कर आम जनता के लिए खोला जाये, तो यह क्षेत्रवासियों के लिए स्वास्थ्य और मनोरंजन का एक शानदार केंद्र बन सकता है. लोगों ने मांग की है कि पार्क की नियमित सफाई, सौंदर्यीकरण और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये. मनरेगा योजना के तहत बना यह ग्रीन पार्क शुरू में लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण था, लेकिन अब यह प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन गया है. जनहित से जुड़ी इस संरचना का लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा है. प्रशासन यदि तत्परता दिखाए, तो यह पार्क फिर से लोगों की सेहत और सुकून का केंद्र बन सकता है.

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