छपरा. सारण में तीन अक्टूबर को 10 घंटे तक हुई बारिश और इससे उत्पन्न हुई आपदा जैसी स्थिति के बाद नगर निगम से शहरवासियों का भरोसा उठ गया है. पूरे निगम क्षेत्र में जल निकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम बंद पड़ा दिखा और 60 से 70 बोरिंग और पंपिंग सेट से पानी की निकासी की जा रही है, जो कि बताने के लिए काफी है कि बरसात के पहले नगर निगम ने किस तरह से तैयारी की थी की जल निकासी की व्यवस्था बेहतर नहीं हो पाई. लोग बुडको की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे हैं और यह कहने से थोड़ा भी गुरेज नहीं कर रहे हैं कि बुडको ने करोड़ों रुपए पानी में बहा दिए. नमामि गंगे परियोजना की भी पोल इस बारिश ने खोलकर रख दी है. यह भी काम नहीं आया. अब जिला प्रशासन को ही शहर की जल निकासी के लिए अपने स्तर से एक भारी भरकम योजना तैयार करनी पड़ेगी.
शिक्षा विभाग ने खुद की पंपसेट की व्यवस्था
जिलाधिकारी आवास में तीन चार पंपसेट चल रहे हैं, डीडीसी, सदरएसडीओ, नगरनिगम, गर्ल्स स्कूल, आरक्षी अधीक्षक आवास सहित सरकारी कार्यालय और आवास में हुए जल जमाव की निकासी के लिए या तो नगर निगम स्तर से या फिर स्वयं के प्रयास से जल निकासी कराई जा रही है. सोमवार को 30 से अधिक कार्यालय और सरकारी आवास में, प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान में पंपिंग सेट और बोरिंग चलते हुए देखा गया. इनकी संख्या 60 से 70 थी. सभी से जो पानी निकल रहा था वह आसपास के नाले में डाला जा रहा था. जिला स्कूल परिसरस्थित शिक्षा विभाग के कर्मी शशि कुमार और रौशन कुमार भी निजी व्यवस्था के तहत दो पंपिंग सेट लेकर पहुंचे थे. यहां भी जल निकासी देर रात तक चलती रही.नगर निगम की कार्य शैली अजीब रही
नगर निगम की ओर से सकिंग मशीन के माध्यम से टंकी में पानी खींचा जा रहा था, लेकिन हद तो तब हो गई कि जब टंकी भर गया तो पास के नाले में पानी को गिरा दिया गया. नतीजा यह हुआ कि वह पानी नाले को ओवरफ्लो करते हुए सड़क पर आ गया. डीएम आवास रोड में कुछ ऐसा ही देखा गया. पास में ही खड़े एक व्यक्ति अर्जुन कुमार गुप्ता ने बताया कि नगर निगम दाल में का भात में और भात में का दाल में करते रहता है. ऐसे थोड़े कम होता है. पानी की निकासी में लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं तो कम से कम काम ऐसा होना चाहिए की दोबारा पानी वापस नहीं आए.यहां अभी नहीं सुधरी है स्थिति
कलेक्ट्रेट
: कलेक्ट्रेट के पूरे कैंपस में अभी भी घुटने पर जलजमाव है. इसमें आरक्षी अधीक्षक, एडीएम, पंचायत, इलेक्शन, रजिस्ट्री, कल्याण, माईनिंग, भूवर्जन, नजारत, सांख्यिकी, राजस्व, सामान्यशाखा, स्थापना समेत अन्य कार्यालय के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. यहां आधा दर्जन पंपिंग सेट चलते हुए देखा गया.जिला
परिषद
: जिला परिषद की स्थिति बदहाल है. अभी तक जल निकासी की व्यवस्था नहीं हुई है हालांकि अधिकारी बता रहे हैं कि जल्द ही पंपिंग सेट लगाकर पानी निकल जाएगा. सबसे बड़ी बात है कि इस कैंपस में शिक्षा विभाग का समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय है जिसका कार्य महत्वपूर्ण है वह पूरी तरह से प्रभावित है.सदर एसडीओ कार्यालय:
सदर एसडीओ कार्यालय परिसर में भी जल जमाव बरकरार है यहां पंपिंग सेट से पानी निकाला जा रहा था लेकिन अभी लेवल कम नहीं हुआ है. एसडीएम कार्यालय परिसर में न्यायालय कार्य भी होते हैं. यहां कंट्रोल रूमभी है. डीसीएलआर का कार्यालय भी है यह सब प्रभावित हो रहे हैं.डीडीसी
कार्यालय
: इस कार्यालय कैंपस से पानी निकला है लेकिन अभी भी थोड़ा बहुत जल जमाव है. इस कार्यालय कैंपस में विकासशाखा, डीआरडीए और अन्य कार्यालय हैं. जल जमाव का असर यहां भी देखा जा रहा है.जल निकासी नहीं होने के मुख्य कारण
सभी 13 एग्जिट प्वाइंट की सफाई ठीक ढंग से नहीं करायी गयीखनुआ नाला का निर्माण समय से पहले नहीं कराया गया, बुडको ने जबरदस्त लापरवाही कीनमामि गंगे परियोजना पूरी तरह से असफल साबित हुई, बनने के साथ जाम हुए पाइपरेलवे लाइन के किनारे के सभी एग्जिट प्वाइंट को दुरुस्त नहीं किया गया, रेलवे ने भी नहीं की मददनिगम क्षेत्र के 43 प्रमुख नालों की सफाई में केवल खानापूर्ति की गयीबरसात के पहले कोई मास्टर प्लान और क्विक रिस्पांस टीम का गठन नहीं किया गयासफाई एजेंसी के 700 सफाई कर्मी इस पूरे आपदा में कहीं नहीं दिखे
क्या कहते हैं जिम्मेदार
अपने स्तर से भरपूर प्रयास किया गया कि जलजमाव नहीं हो, लेकिन यह आपदा की स्थिति थी. इतनी बारिश आज तक नहीं देखी गई. कहां कमी रह गयी, इसकी समीक्षा की जा रही है. लक्ष्मी नारायण गुप्ता, महापौर ,नगर निगमडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

