प्रतिनिधि, छपरा. चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात यह कहावत इन दिनों मंडल कारा के आसपास की स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठती है. बीते दिनों जेल से एक कैदी के फरार होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन ने जो सख्ती दिखायी थी, वह अब केवल कागजों तक सिमटती नजर आ रही है. जेल परिसर के बाहर फिर से अव्यवस्था अपने पुराने रूप में लौट आयी है. जेल के इर्द-गिर्द और मुख्य गेट के सामने दोबारा दुकानों की कतारें लग गयी हैं, मोटरसाइकिलें अनियंत्रित ढंग से खड़ी की जा रही हैं, जिससे न सिर्फ सुरक्षा में सेंध लगने की आशंका बढ़ गयी है, बल्कि यातायात भी बाधित हो रहा है. अधिकारियों के निर्देशों की उड़ रही धज्जियां कैदी के भागने के बाद डीएम व एसपी द्वारा मंडल कारा का निरीक्षण किया गया था. सुरक्षा को लेकर कई दिशा-निर्देश जारी हुए थे. साथ ही जेल प्रशासन को विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया था. वहीं यातायात पुलिस ने भी माइकिंग कर दुकानदारों को चेतावनी दी थी कि वे जेल के बाहर दुकानें न लगाएं. जेल अधीक्षक और सह-जेल अधीक्षक ने भी स्पष्ट रूप से दुकानदारों को निर्देशित किया था कि कोई भी व्यक्ति जेल परिसर के पास दुकान न लगाए. इसके बावजूद दुकानदार अपने मनमाने रवैये से बाज नहीं आ रहे. सड़कों पर पर्ची काटने से लेकर नशीले पदार्थों की हो रही बिक्री सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुलाकातियों के लिए ऑनलाइन पर्ची काटने का काम भी अब सड़कों पर लगायी गयी अस्थायी दुकानों से हो रहा है. इतना ही नहीं, जेल के ठीक बगल में ठेलों पर खुलेआम पान, गुटखा और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री भी की जा रही है. यह सब जेल प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. दुकानदारों में कानून या प्रशासन का कोई खौफ नजर नहीं आता. सुबह होते ही दुकानदार सड़क को अतिक्रमित कर अपना कारोबार शुरू कर देते हैं. इससे जेल के पास स्थित मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति बन जाती है. लोग परेशान होते हैं, लेकिन व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है, वे मौन हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है