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सब्सिडी के बावजूद बागवानी मिशन फेल

छपरा (सदर) : सरकार मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत जिले को फल, शहद व सब्जी उत्पादन के मामले में सारण जिले को आत्म निर्भर बनाने का प्रयास कर रही है. इसके लिए संबंधित फसल की खेती करने वाले किसानों को खेती के लिए कुल खर्च का 50 फीसदी अनुदान देने की भी घोषणा की है. […]

छपरा (सदर) : सरकार मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत जिले को फल, शहद व सब्जी उत्पादन के मामले में सारण जिले को आत्म निर्भर बनाने का प्रयास कर रही है. इसके लिए संबंधित फसल की खेती करने वाले किसानों को खेती के लिए कुल खर्च का 50 फीसदी अनुदान देने की भी घोषणा की है. सरकार के निर्देश के आलोक में जिला उद्यान विभाग आवेदन भी ले रहा है. परंतु, किसानों की उदासीनता के कारण निर्धारित क्षेत्रफल में खेती के लक्ष्य के 10 फीसदी क्षेत्रफल में भी खेती के लिए किसानों ने आवेदन नहीं दिया. जिसने आवेदन दिया भी उसमें भी 15 से 20 फीसदी ने ही अंतत: खेती तथा अनुदान की प्रक्रिया पूरी करने के लिए रुचि दिखाई. ऐसी स्थिति में सरकार की यह योजना किसानों की उदासीनता व कारगुजारियों के कारण धरातल पर नहीं उतर पा रही है.

आम में महज 1.2 हेक्टेयर के लिए तथा केला में महज 7 हेक्टेयर के लिए मिला आवेदन : सहायक उद्दान निदेशक सारण की माने तो सारण जिले में आम की खेती के लिए महज 1.2 हेक्टेयर के लिए महज तीन किसानों ने आवेदन के साथ-साथ राशि भी उपलब्ध करायी है. जबकि 53 किसानों ने आवेदन दिया था. इसी प्रकार केला के लिए महज सात हेक्टेयर हेतु महज 17 किसानों ने ही आवेदन दिया. जबकि पॉली हाउस के लिए एक भी आवेदन नहीं मिला. वहीं मधुमक्खी पालन के लिए महज 21 आवेदन मिले हैं. परंतु, किसी किसान ने राशि नहीं जमा करायी. वहीं शहद निकालने की मशीन के लिए एक भी आवेदन नहीं आया है. ऐसी स्थिति में सरकार की यह योजना आखिर धरातल पर कैसे उतरेगी तथा सारण जिला फल, शहद आदि के उत्पादन के मामले में आत्म निर्भर कैसे हो पायेगा.
आम की खेती पर 50000 प्रति हेक्टेयर अनुदान
30 हजार हेक्टेयर में आम तथा 5 हेक्टेयर में केले की खेती के लिए लक्ष्य निर्धारित किया था. जिसमें आम की खेती पर 50 हजार प्रति हेक्टेयर अनुदान तथा केले की खेती पर 62500 रुपया प्रति हेक्टेयर अनुदान निर्धारित है. इसी प्रकार मधुमक्खी पालन के लिए 2000 बॉक्स उपलब्ध कराना है.
जिसमें प्रति बॉक्स चार हजार रुपये की लागत पर किसानों को दो हजार रुपये अनुदान देना है. इसके तहत एक किसान को अधिक से अधिक मधुमक्खी पालन बॉक्स देना है. वहीं मधुमक्खी से शहद निकालने के लिए सरकार ने सारण जिले में 40 मशीन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है. जिसमें एक मशीन की लागत 20 हजार रुपये है. जिस पर 50 फीसदी सब्सिडी मिलना है.
कागजी खानापूर्ति करने वाले किसान हैं मुश्किल में
पूर्व में सरकार के नीतियों के कारण फल, सब्जी या शहद की खेती करने वाले किसानों को उनके आवेदन स्वीकृत होने के बाद चेक के माध्यम से राशि दी जाती थी. वैसी स्थिति में कागज पर ही अनुदान की राशि उठा लेने वाले किसानों के लिए सरकार की नयी शर्त मुश्किल में डाल रही है.
सरकार ने नयी नीति के तहत आम, केला, शहद के बॉक्स, पॉली हाउस के निर्माण, आम, केला के पौधे खरीदने के बाद रशीद जमा करने के बाद ही सब्सिडी की राशि डिबिटी के माध्यम से संबंधित किसान के खाते में आरटीजीएस करना है. ऐसी स्थिति में कागजी खानापूर्ति करने वाले किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं सरकार का लक्ष्य भी काफी पिछड़ रहा है.
सरकार बगवानी मिशन के तहत आम, केला, शहद उत्पादन के मामले में सारण को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रयासरत है. परंतु, सरकार की ओर से विभिन्न सुविधा के बावजूद लक्ष्य के 20 फीसदी किसान भी सरकार की सब्सिडी योजना का लाभ उठाकर बेहतर खेती करने के प्रति उदासीन है. जिससे सरकार का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है.
विनोद कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान, सारण

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