छपरा (सदर) : जिले में अप्राकृतिक मौत की घटनाओं में चालू वर्ष में 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई है. जिला पुलिस फाइल से प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू वर्ष में 16 दिसंबर तक 312 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं, पानी में डूबने, वज्रपात आदि घटनाओं से हुई है. इस प्रकार हर सप्ताह कम से कम छह व्यक्तियों की मौत से कभी मां की गोद सुनी होती है, तो कभी महिलाओं की सिंदूर मिट जाती है.
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चालू वर्ष में अप्राकृतिक मौत की घटनाओं में 20% वृद्धि
छपरा (सदर) : जिले में अप्राकृतिक मौत की घटनाओं में चालू वर्ष में 20 फीसदी तक की वृद्धि हुई है. जिला पुलिस फाइल से प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू वर्ष में 16 दिसंबर तक 312 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं, पानी में डूबने, वज्रपात आदि घटनाओं से हुई है. इस प्रकार हर सप्ताह कम से […]
तो कभी छोटे-छोटे बच्चों के सामने भूख मिटाने के लिए रोटी की समस्या खड़ी हो जाती है. 2017 में जहां 254 असामयिक घटनाओं में लोगों की जानें गयीं थी. उतनी ही जानें 2018 में भी गयी थी. परंतु, वर्ष 2019 में विभिन्न घटनाओं-दुर्घटनाओं में लोगों के जान जानें में भारी वृद्धि हुई है. वहीं जनवरी से लेकर जून तक जहां ये घटनाएं दो दिनों पर एक औसतन रही है.
वहीं जून के बाद से लेकर दिसंबर तक प्रतिदिन एक से दो मौतें इन घटनाओं से हुई है. जुलाई में 37 लोगों की अकाल मौतें हुई तो अगस्त में 36 की, सितंबर में जहां 30 जानें गयी, वहीं अक्तूबर में यह आंकड़ा सर्वाधिक 50 पर पहुंच गया. नवंबर में जहां 39 लोगों ने जानें गंवाई. वहीं 16 दिसंबर तक 19 लोगों की मौत आकस्मिक घटनाओं में हुई है.
इन घटनाओं में मौत को माना जाता है अप्राकृतिक मौत : जानकारी के अनुसार वज्रपात से मौत, पानी में डूबने से मौत, करेंट , पेड़ से गिरने, सांप के डसने, जहर खाने, आग से जलने, रेल से कटने व फांसी लगाने आदि की घटनाएं अप्राकृतिक मौत मानी जाती है.
जलवायू परिवर्तन, जनसंख्या में वृद्धि, यातायात की रफ्तार पर नियंत्रण नहीं होना, परिवहन के दौरान लापरवाही आदि कारणों से असामायिक मौत की घटनाओं में जहां हर रोज वृद्धि हो रही है. वहीं आर्थिक तंगी, पारिरवारिक रंजिश के कारण जाने-अनजाने में विषपान करने में फंदा लगाकर जान देने, रेल से कटने की घटनाएं हुई है.
इसके अलावा जिले में इस वर्ष सबसे ज्यादा पानी में डूबने से मौत की घटनाएं हुई है, जिनमें इसुआपुर, गड़खा, जलालपुर, मढ़ौरा, सोनपुर, दरियापुर, अवतार नगर आदि थाना क्षेत्रों में एक साथ छह से सात लोगों के मौतें भी हुई है. इन कई घटनाओं के बाद सरकार द्वारा अनुग्रह राशि भी पीड़ित परिवारों को दी जाती है. परंतु, इन सबके बावजूद परिवार के कमाने वाले सदस्य, या बच्चों-बच्चियों के मौत के बाद परिवार की खुशियां ही लूट जाती है.
बोले पुलिस अधीक्षक
जिले में बढ़ी जनसंख्या, वाहनों की संख्या, वाहन परिचालन में लापरवाही आदि कारणों से अप्राकृतिक मौत की घटनाएं बढ़ी है. अधिकतर अप्राकृतिक मौतें सड़क दुर्घटना या डूबने से चालू वर्ष में हुई है. समाज के लोगों को यातायात के नियमों को पालन करने के लिए जागरूक करने व सावधानी बरतने से निश्चित तौर पर अप्राकृति मौत की घटनाओं में कमी आयेगी.
हरकिशोर राय, एसपी, सारण
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