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टिकट काउंटर कम, लोग परेशान

आरक्षण टिकट काउंटर पर काम करने के लिए सात की जगह तीन है कर्मी 1.27 करोड़ की जगह एक करोड़ से नीचे पहुंचा राजस्व सीनियर सिटीजन, महिलाओं व दिव्यांगों के लिए नहीं है अलग काउंटर सीवान : पूर्वोत्तर रेलवे में सीवान आय की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्टेशन होने के बाद भी रेल अधिकारियों की उपेक्षा […]

  • आरक्षण टिकट काउंटर पर काम करने के लिए सात की जगह तीन है कर्मी
  • 1.27 करोड़ की जगह एक करोड़ से नीचे पहुंचा राजस्व
  • सीनियर सिटीजन, महिलाओं व दिव्यांगों के लिए नहीं है अलग काउंटर
सीवान : पूर्वोत्तर रेलवे में सीवान आय की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्टेशन होने के बाद भी रेल अधिकारियों की उपेक्षा के कारण दिन-प्रतिदिन यहां पर यात्री सुविधाओं में कटौती हो रही है. करीब एक साल पहले सीवान जंक्शन पर तीन प्लस दो आरक्षण टिकट काउंटर चलते थे. उस समय प्रतिदिन करीब एक हजार मांग पत्रों के द्वारा रेल यात्री अपना आरक्षण कराते थे.
रेल को प्रतिमाह करीब 1.27 करोड़ की राजस्व की प्राप्ति हो जाती थी. आज सीवान जंक्शन पर कर्मचारियों की कमी के कारण तीन प्लस दो की जगह दो प्लस एक आरक्षण टिकट काउंटर चल रहें है. कम टिकट काउंटर खुलने के कारण रेल की आय घटने के साथ-साथ रेल यात्रियों के टिकट भी कम बन रहें है.
जब पांच काउंटर चलता था तब 2017 में एक महीने का राजस्व एक करोड़ 27 लाख रुपये तक गया था. मई 2018 से तीन काउंटर चल रहा है, जिससे राजस्व घट कर एक करोड़ के नीचे आ गया है.
इधर कम आरक्षण टिकट काउंटर खुलने से महिलाओं, सीनियर सिटीजन तथा दिव्यांगों को अलग काउंटर नहीं होने से काफी परेशानी होती है. सीवान एवं गोपालगंज जिले में सीवान जंक्शन पर ही अपराह्न के बाद रात आठ बजे तक आरक्षण टिकट लेने की सुविधा है.
प्राइवेट एजेंसी वालों को देनी पड़ती है तीस से पचास रुपये अतिरिक्त : रेल की अधिकारी भी जानते है कि रेल ने आरक्षण टिकट बनवाने के अन्य वैकल्पिक साधन दिये हैं, लेकिन पहले की तुलना में प्रतिदिन यात्रियों की संख्या भी बढ़ी है. इस स्थिति में सिर्फ वैकल्पिक साधनों के भरोसे ही रेल यात्री रहे, सही नहीं है. रेल यात्रियों को प्रति यात्री 30 से लेकर पचास रुपये तक के अतिरिक्त शुल्क देनी पड़ती है.

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