Samastipur News:समस्तीपुर: 6 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही 133- समस्तीपुर विधानसभा सीट पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए डोर-टू-डोर कैंपेन का जोरदार आगाज कर दिया है. अब जनसभाओं के साथ-साथ घर-घर पहुंचकर वोटरों से सीधा संवाद स्थापित करने पर उम्मीदवारों का फोकस है. उम्मीदवार सुबह से लेकर देर शाम तक क्षेत्र की गलियों और बस्तियों में घूमते नजर आ रहे हैं. समर्थकों की टोलियां नारे लगाते हुए प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटी हैं. कहीं महिलाएं उम्मीदवारों को फूल-मालाओं से स्वागत कर रही हैं तो कहीं युवा वर्ग अपने पसंदीदा नेता के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर प्रचार को नया रंग दे रहा है. इस बार चुनावी रणनीति में खास बदलाव देखा जा रहा है. प्रत्याशी बड़े मंचीय भाषणों के बजाय लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं को समझने और उनके दरवाजे तक पहुंचने पर अधिक जोर दे रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में बिजली, सड़क, पानी और बेरोजगारी जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए जा रहे हैं. वहीं, शहरी क्षेत्र में विकास योजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चर्चाएं गर्म हैं. चुनावी माहौल के बीच जिला प्रशासन भी पूरी सतर्कता बरत रहा है. निर्वाचन आयोग के निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. फ्लाइंग स्क्वॉड और निगरानी टीमें लगातार गश्त कर रही हैं ताकि आचार संहिता का उल्लंघन न हो सके. जैसे-जैसे मतदान की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे प्रत्याशियों के बीच मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की होड़ बढ़ती जा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार डोर-टू-डोर कैंपेन ही चुनावी जीत का असली आधार साबित हो सकता है. जनता किसे मौका देती है, यह तो छह नवंबर को इवीएम का बटन दबने के बाद ही तय होगा, लेकिन फिलहाल फिजा पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुकी है. इधर वार्ड व पंचायत स्तर पर मिले इनपुट के आधार पर प्रत्याशी मतदाताओं की ‘गणेश परिक्रमा’ कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों को अनजान व्यक्ति भी अपने लगने लगे हैं. वह आते-जाते लोगों को भी सलामी ठोंक हालचाल पूछने लगे हैं. जन संपर्क अभियान के दौरान वह मतदाताओं से अपने पक्ष में मतदान करने के लिए उनका मनुहार करते देखे जा रहे हैं. वह इस दौरान विकास का वादा भी करते सुने जा रहे हैं. मतदाता उनकी बातों को सुनकर उनसे कह रहे हैं कि आप ही तो जीत रहे हैं. इस गांव में आप ही की चर्चा है. बस आप ही को वोट मिलेगा. कुल मिलाकर स्थिति ‘तू डाल-डाल तो हम पात-पात’ की स्थिति है.
जीत अर्जित करने के लिए हर उम्मीदवार अपनों की तलाश में
मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, उम्मीदवारों ने उसी गति से वोटरों की घेराबंदी तेज कर दी है. एक-एक वोट हासिल करने के लिए उम्मीदवार अब नाराज मतदाताओं की नाते-रिश्तेदारियों में संबंध तलाश रहे हैं. ऐसे लोगों के हितैषी व शुभचितकों के साथ नाराज वोटरों की ससुराल, ननिहाल तथा अन्य रिश्तेदारियों का पता लगाया जा रहा है. पता लगते ही खुद व रिश्तेदारों के माध्यम से उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश हो रही हैं.चुनाव में जीत अर्जित करने के लिए हर उम्मीदवार अपनों की तलाश मे जुट गये हैं. यही नहीं कल तक उम्मीदवार जिन रिश्तेदारों का चेहरा नहीं पहचानते थे, उन्हें अब अपना जीजा, दामाद, फूफा कहकर वोट पाने की जुगत में सिफारिश कराई जा रही है. चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में उम्मीदवार पहले भले ही बिना नफा नुकसान के हर किसी के मामले में टांग अड़ाते और खेल बिगाड़ने में जुटे रहते थे, लेकिन अब पुराने संबंधों पर भी अपनेपन की दुहाई दे रहे है. चुनाव जीतने की खातिर उम्मीदवार अपना हर दांव इस्तेमाल कर रहे है. वहीं जनता भी उम्मीदवार के व्यवहार परिवर्तन को देख मौन है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

